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इतिहास के प्रशासन
वर्ण नाननेगली मान्यतान निरावल किन गरा है। सामञ्ज फलसुत्तने गनायक निम्मनुप्टकरा बनन है। नझिमनिकाय में नहावीरके आराधन उणनी नामन भान्का नैग्नी बननेन उल्लेख है। उसने जैनवर्म नन्न्त्री मान्यता भन. वचन, कायने दण्डित करनेगा वर्णन है। अंगुत्तरनिहायमें राजनार अन्य इस न मान्यताका उल्लेख करता है कि ताजगात नोंग नाग होता है और माला पूर्ण जानको प्राजक्ता है। उस दिक्त और उणेक्षय (Uposatha) नामन जन तोंग नी उल्लेख है। नहावापर्ने सिंह सेनापति महानरका पन होकर बाँधन अंगकार करता हुआ बताग गया है।
द्धनास्त्रोंने निम्रन्यों-उनोन बौद्धोने प्रतिद्वन्द्वी रूपर्ने वन जाता है और उनमें वही भी ग्ह न्ही लिन है कि जैनधर्म एक नवीन वर्म है। दूसरी बात; नक्सलि गोनालके द्वारा लिपित बों के पनदोंने निग्रन्योती तीसरे नंबर गणना की गई है। नवीन पर्न को इस प्रगर गणनाना नहत्व नहीं प्राप्त होता। निम्रन्य पिनाकी अनिम्रन्य सतान सन्च न ( Sachchaka) बुद्धो दिनद हुआ था। इससे जनवमं बौवनका भेद है यह वात तंडित होती है।
डा. जगेवीका यह भी क्यान है कि जैन गंया विधान सालियो और परपराजांनी उपना करनेके लिए उचित सावनसामग्री बना है। उनमें जैनवम्बी वागतान बनेस्यलोर उल्लेख विद्यमान है।
जैनात्जानने आवारगर नी नोनी प्राचीनता प्रमाणित होती है। जनदर्शनने 'जीवों का वर्णन कन्च भनीती अक्षा जुना है। जैन तत्वों की गणना करते समय 'गुण' को पृथक् पदार्य नहीं बताया है। द्रव्योमें धर्म और अधर्म द्रव्योंग उल्लेख जिया गया है। इससे योग