________________ 2 स्वयम्भू-स्तवन-छन्द सूची 213 निबन्धसे सम्बद्ध स्वयम्भूस्तोत्रके स्लवन-क्रमसे छन्दोंके नाम और लक्षण निम्न प्रकार है-एक स्तवनके पद्य यदि एकमे अधिक छन्दोंमें है तो उन पद्योंके कमाङ्ग छन्द-नामके पूर्वमें दे दिये गये है / और जिस छन्दका लक्षण एक बार किसी स्तवनमें प्राचुका है उसकी सूचना उपयुक्त' शब्द के साथ उम स्तवननम्बरको ब्रेकिट के भीतर देकर की गई है :-- 1. वंशम्थ-प्रत्येक चरणमें जगण, तगरग, जगण, रगणके क्रमको लिये हुए द्वादशाक्षर (5,7) वृत्तका नाम 'वास्थ' है। 2. उपजाति--इन्द्रवजा और उपेन्द्रवजाके चरण-मिश्रण में बना हुग्रा छन्द उपजाति' कहलाता है / 3. 1.5 इन्द्रवना.२ उपेन्द्रवत्रा, 3,5 उपजाति-प्रनिचरगा तगरण,तगरण, जगरण और ग्रन्तम दो गुरुके क्रमको निय हा एकादशवर्णात्मक वृतको 'इन्द्रवना' कहते हैं और यदि चरणारम्भमें गुरु के स्थान पर लघुप्रक्षर (जगरण) हो तो वही 'उपेन्द्रवज्ञा' हो जाता है / दानों के मिश्रणसे बना 'उपजाति'। 4. वंशम्थ---उपयुंक्त (1) 5. 1-4 उपजाति, 5 उपेन्द्रवज्रा- क (2), (3) 5-8, उपजाति--उपयुक (2) 10. वशम्थ--उपयुक्त (1) 11. 5.4,5 उपजाति, 2, 3 उपेन्द्रवना-उपयुक्त (2) उपर्युक्त (3) 10. 1,3,4 उपजाति. 2, उपेन्द्रवम्रा. 5 इन्दरम्रा-उपयुक्त (2), (3) 13-14. वंशस्थ---उपयुक्त (1) 15. रथ द्धता-रगण,नगगा रगण गीर लघु-गुरु क्रमको लिये हुए एकादश वर्णात्मक-चरण-वृत्तका नाम 'रथाद्धता' है। 16. उपजाति-उपयुक्त (2)