________________ 03 परिशिष्ट १-काव्यचित्रोंका सोदाहरण परिचय प्रयुक्त हुमा जान पड़ता है / इस प्रकारके दूसरे श्लोक 86 प्रौर 61 है। (8) अनुलोमप्रतिलोमेकश्लोकः नतपाल महाराज गीत्यानुत ममाक्षर / रक्ष मामतनुयागी जराहा मलपातन / / 57 / / न त पाल/Hler |N [ज | ar | तु त म मास र इस कोष्ठकमें स्थित पूर्वाधंका उल्टा पढ़ने में उत्तरा बन जाता है / इसी प्रकार श्लोक नं 0 66, 68 भी अनुलोम-प्रतिलोम क्रमको लिये हुए है। (E) बहुक्रियापद-द्वितीयपादमध्य-यमकाऽतानुभ्यम्जनाऽवर्णस्वर गूढद्वितीयपाद-सर्वतोभद्रः पारावाररवारापारा क्षमाक्ष क्षमाक्षरा / वामानाममनामावारने मद्धद्धमत्तर ||4|| पा रा वा र र वा रा पा |रा क्ष मा क्ष क्ष मा क्ष रा |वा मा ना म म ना मा वा बा मा ना म म ना मा वा रान मा भ भ मा क्षरा पाग वा र र वा रापा इस कोष्ठकमें ऊपरका लोक चारों पोरसे पढ़ा जाता है।