________________ परिशिष्ट १-काव्यचित्रोंका सोदाहरण परिचय 6 ये मामान्य मुग्जबन्धके दो चित्र है। इनमें पूर्वाध के विषमसंख्यांक (1, 3, 5, 7, 6, 11, 13, 15) प्रक्षगेको उत्तराध के ममसंख्याङ्क ( 2, 4, 6, 8, 10, 12, 14, 16) प्रक्षगेंक माथ क्रमश: मिलाकर पढ़नस श्लोकका पूर्वार्ध पोर उत्तरार्ध के विषमसरूयाङ्क अक्षरोंको पूर्वाधक सम संख्या प्रक्षरोंके साथ क्रमश: मिलाकर पढन में उत्तराधं बन जाता है। इस प्रकार के अन्य श्लोक अन्यमे निम्नप्रकार है 2, 6, 7, 8, 6, 21, 30, 31.32. 33, 34, 35, 36, 40, 41, 42, 45, 46,58. 26, 60, 61,62, 63, 65, 67. 68, 66. 70, 71, 73. 74, 75, 76, 77. 78, 80, 82, 66, 101, 102, 103, 104, 185 / (6) अर्धभ्रम-गृढपश्चाई: धिया ये श्रित येताा यानुपायान्वराननाः / येपापा यानपारा ये श्रियायानाननन्वन // 3 // - धि या ये नि त ये ता | / 2. या नु 3 ये : पा 4] वि या पा पा या या या ता न्य त न रा पा त न ता रा ये / न्व : त - -- - - - - ---- - - - - - - 5