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________________ 662 . जैनसाहित्य और इतिहासपर विशद प्रकाश उनके वश-क्रममें समन्तभद्रस्वामी उदयको प्रारा हुए, जो 'कलिकालगणधर' मोर 'शास्त्रकार' थे, समन्तभद्रकी शिष्य-सन्तानमें सबसे पहले 'शिवकोटि' प्राचार्य हए, उनके बाद वरदत्ताचार्य, फिर तत्वार्थ सूत्र के कर्ता 'मायंदेव, प्रार्यदेवके पश्चात् गंगराजका निर्माण करनेवाले 'सिंहनन्दी' प्राचार्य, भोर सिंहनन्दीके पश्चात् एकसन्धि-सुमति भट्टारक हुए / और 363-373 शिलालेखोंमें समन्तभद्र के बाद सिंहनन्दीका उल्लेख करते हुए सिंहनन्दीका समन्तभद्रकी वंशपरम्परामें होना लिखा है, जो वंशपरम्परा वही है जिसका ३५वें शिलालेखमें शिवकोटि, वरदत्त पोर मायंदेव नामक प्राचार्योके रूप में उल्लेख है। इन तीनों या चारों शिलालेखोंमे भिन्न दूसरा कोई भी शिलालेख ऐसा उपलब्ध नहीं है जिसमें समन्तभद्र और मिहनन्दी दोनोंका नाम देने हए उक्त सिंहनन्दीको समन्तभद्रमे पहलेका विद्वान् मूवित किया हो या कम-मेंकम समन्तभद्रमे पहले सिहनन्दीके नामका ही उल्लेख किया हो। ऐसी हालतमे मिस्टर लेविस राइस साहबके उस अनुमानका समर्थन होता है जिसे उन्होंने केवल 'मल्लिपणप्रशास्ति' नामक शिलालेख (नं. 54 ) में इन विद्वानों के मागे पीछे नामोल्लेख को देखकर ही लगाया था। इन वादको मिले हा शिला. लेखोंमें 'श्रवरि', 'अवर अन्वयदाल' पोर 'अवर अनन्तर' शन्दोंके प्रयागद्वारा इस बातकी स्पष्ट घोषणा की गई है कि मिहनन्दी प्राचार्य ममन्तभद्राचार्यके बाद हए है / अतः ये मिहनन्दी गंगवाके प्रथम गजा कोगुरिणवमांक समकालीन थे, इन्होंने गगवकी स्थापनामे खास भाग लिया है, जिसका उल्लेख तीनों शिलालेखोंमें "गंगराज्यमं मानि" इस विशेषण-पदक द्वारा किया गया मल्लिपरण-प्रशस्तिमें प्रायंदेवको ‘राधान-कर्ता' लिखा है और यहाँ 'तत्त्वार्थसूत्र-कर्ता।' इससे 'राधान्त' और 'तत्त्वार्थ मूत्र'दोनों एक ही पन्धक नाम मालूम होते हैं और वह गृध्रपिच्छाचायं उमास्वामीके तत्त्वार्थ मूवमे भिन्न जान पड़ता है। श्रवणबेलगोलका उक्त ५४वां मिलाने सन् 1886 में प्रकाशित हप्रा पा और नगरताल्लुकके उक्त तीनों शिलालेख सन् 1904 में प्रकाशित हुए है। सन् 1886 में लेविस राइस साहबके सामने मौजूद नहीं थे।
SR No.010050
Book TitleJain Sahitya aur Itihas par Vishad Prakash 01
Original Sutra AuthorN/A
AuthorJugalkishor Mukhtar
PublisherVeer Shasan Sangh Calcutta
Publication Year1956
Total Pages280
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size10 MB
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