SearchBrowseAboutContactDonate
Page Preview
Page 694
Loading...
Download File
Download File
Page Text
________________ 660 जैनसाहित्य और इतिहासपर विशद प्रकाश राइसने अपनो 'हिस्टरी प्राफ़ कनडीज लिटरेचर'में मान्य किया है / और भी अनेक ऐतिहासिक विद्वानोंने समन्तभद्रके इस समयको मान्यता प्रदान की है। अब देखना यह है कि इस समयका समर्थन शिलालेखादि दूसरे कुछ साधनों या माधारोंसे भी होता है या कि नही और ठीक समय क्या कुछ निश्चित होता है / नीचे इसी विषयको प्रदर्शित एवं विवेचित किया जाता है: मिस्टर लेविस राइसने, समन्तभद्रको ईसाकी पहली या दूसरो शताब्दी. का विद्वान अनुमान करते हुए, जहाँ उसकी पुष्टिमें उक्त पट्टावलीको देखनेकी प्रेरणा की है वहा श्रवणबेल्गोलके शिलालेख न० 54(67) को भी प्रमाणमें उपस्थित किया है, जिसमे मल्लिपणप्रशस्तिका उत्कीर्ण करते हुए मन्तभद्रका स्मरण सिंहनन्दीसे पहले किया गया है। शिलालेखकी स्थिनिको देखते हए उन्होंने इम पूर्व-स्मरणको इस बातके लिये अत्यन्त स्वाभाविक समान माना है कि समन्तभद्र सिंहनन्दीसे अधिक या कम समय पहले हए है। उक्त निहनन्दी मुनि गंगराज्य ( गंगवाडि ) की स्थापनामे सविशेषरूपसे कारणीभूत एव सहायक थे, गंगवंशके प्रथम राजा कोंगामा वर्माके गुरु थे. और इसलिकोपकराजाकूल (तामिल क्रानिकल) मादिसे को णि वर्माका जो समय ईसाकी दूसरी शताब्दीका मन्तिम भाग (A. D. 188) पाया जाता है वही सिंहनन्दीका अस्तित्व-समय है ऐमा मानकर उनके द्वारा समन्तभदका मस्तित्वकाल ईसाकी पहली या दूसरी शताब्दी भनुमान किया गया है। श्रवणाबेलगोलके शिलालेखोंकी उक्त पुस्तकको सन् 1886 में प्रकाशित करने के बाद राइस साहबको कोंगुरिगवर्माका एक शिलाम्ब मिला, जो शक संवत् 25 (वि. सं० 160, ई० सन् 103) का लिखा हुप्रा है और जिसे उन्होंने. मन् 1864 में, नजनगूड़ ताल्लुके (मैमूर)के शिलालेखोंमें न0 110 पर प्रकाशित कगया है. (E.C. III) / उममे कोंगुरिणवर्माका स्पष्ट समय ईसाकी दूसरी ताब्दी का प्रारम्भिक अथवा पूर्वभाग पाया जाता है, और इसलिये उनके मतानुसार * इस शिलालेखका प्राय प्रश निम्न प्रकार है"स्वरित श्रीमत्कोंगुणिवर्मधर्म महाधिराजप्रथमगंगस्य दत्तं शकवर्षगतेषु पंचवि. शक्ति 25 नेय शुभकिनुसंवत्सरमु फाल्गुनशुउपचमी शनि रोहिरिण "
SR No.010050
Book TitleJain Sahitya aur Itihas par Vishad Prakash 01
Original Sutra AuthorN/A
AuthorJugalkishor Mukhtar
PublisherVeer Shasan Sangh Calcutta
Publication Year1956
Total Pages280
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size10 MB
Copyright © Jain Education International. All rights reserved. | Privacy Policy