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________________ कदम्बवंशीय राजाओंके तीन ताम्रपत्र राजभिस्सगरादिमिः यस्य यस्य यदाभूमिस्तस्य तस्य तथा (?) फलं अद्वित्तं त्रिमियुक्तं सद्रिश्च परिपालितं एतानि न निवर्तन्ते पूर्वराजकृतानि च स्वं दातु सुमहच्छक्यं दु (?):ख (म) न्यायपालनं दानं वा पालन वेति दानान्छ योनुपालनं स्वदत्तां परदत्तां वा यो हरेत वसुन्धरां षष्ठिवर्षसहस्राणि नरके पच्यते तु सः श्रीकृष्णनृपपुत्रेणकदम्बकुलकेतुना रणप्रियेण देवेन दत्ता भू ( ? ) मिस्त्रिपवते दयामृतसुखास्वादपूतपुण्यगुणेप्सुना देववर्मकवीरेण दना जैनाय भूरियं जयत्यहस्त्रिलोकेशः सर्वभूतहितकरः रागाधरिहरोनन्नानन्तज्ञानहगीश्वरः ___ इन तीनों दानपत्रापरसे निम्नलिखित ऐतिहासिक व्यक्तियोंका पता चलता है: 1. स्वामिमहासन-गुरु / 2. हारिती--मुख्य पोर प्रसिद्ध स्त्री / 3. शान्तिवर्मा-राजा। 4. मृगेश्वरवर्मा-राजा। 5. विजयशिवमृगेशवर्मा-महाराजा / 6. कृष्णवर्मा-महाराजा / 7. टेववर्मा-युवराज / 8. दामकीतिभोजकः / 6. नरवर - मेनापति / इन व्यक्तियोंके सम्बन्धमें यदि किमी विद्वान् भाईको. दूसरे पत्रों, शिलालेखों अथवा ग्रन्थप्रशस्तियों प्रादि परमे, कुछ विशेष हाल मालूम हो तो वे कृपाकर उसमे मूचित करनेका कर उठाये, जिसमे एक कमबद्ध जैन इतिहास तय्यार करने में कुछ सहायता मिले।
SR No.010050
Book TitleJain Sahitya aur Itihas par Vishad Prakash 01
Original Sutra AuthorN/A
AuthorJugalkishor Mukhtar
PublisherVeer Shasan Sangh Calcutta
Publication Year1956
Total Pages280
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size10 MB
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