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________________ 606 जैनसाहित्य और इतिहासपर विशद प्रकाश संस्कृत छाया जो 'लोकविभामेसु ज्ञातब्ब'- दी है उससे वह पुष्ट हो रहा है तथा टीकाकार पचप्रभने क्रियापदके साथ 'सु'का 'सम्यक' प्रादि कोई मर्ष ध्यक्त भी नहीं किया-मात्र विशेषणरहित 'दृष्टव्यः' पदके द्वारा उसका अर्थ ध्यक्त किया है, तब मूलके पाठकी, अपने किसी प्रयोजनके लिये अन्यथा कल्पना करना ठीक नहीं है / दूसरे, यह समाधान तभी कुछ कारगर हो सकता है जब पहले मर्कराके ताम्रपत्र भोर बोधपाहुडकी गाथा-सम्बन्धी उन दोनों प्रमाणोंका निरसन कर दिया जाय जिनका ऊपर उल्लेख हुमा है; क्योंकि उनका निरमन अथवा प्रतिवाद न हो सकनेकी हालत में जब कुन्दकुन्दका समय उन प्रमाणों परसे विक्रमकी दूसरी शताब्दी प्रथवा उससे पहलेका निश्चित होता है तब 'लोयविभागे पदकी कल्पना करके उसमें शक सं० 380 मात् विक्रम. की छठी शताब्दी में बने हुए लोकविभाग अन्यके उल्लेखकी कल्पना करना कुछ भी अर्थ नहीं रखता। इसके सिवाय, मैंने जो यह आपत्ति को थी, कि नियमसारकी उक्त गाथाके अनुसार प्रस्तुत लोकविभागमे तिर्यचोंके 14 भेदोंका विस्तारके साथ कोई वर्णन उपलब्ध नहीं है, उसका भले प्रकार प्रतिवाद होना चाहिये अर्थात् लोकविभागमें उस कथा के अस्तित्वको स्पष्ट करके बतलाना चाहिये, जिससे लोकवि भागे' पदका वाच्य प्रस्तुत लोकविभाग समझा जा सके; परन्तु प्रेमीजीने दम बातका कोई ठीक समाधान न करके उसे टालना चाहा है / इमोसे परिशिष्टमे मापने यह लिखा है कि "लोकविभागमें चतुर्गतजीव-भेदोंका या तियंचों और देवोंके चौदह मोर चार मंदाका विस्तार नहीं है. यह कहना भी विचारणीय है / उसके छटे प्रध्यायका नाम हो * मूलमें 'एदेसि विस्थार' पदोंके अनन्तर 'नोविभागेमु गादव' पदोंका प्रयोग है। चूंकि प्राकृतमें 'वित्थार' शन्द नमक लिगमें भी प्रयुक्त होता है इसीसे वित्थारं' पदके साथ 'रणाद' क्रियाका प्रयोग हमा है। परन्तु सस्कृती 'विस्तार' शब्द पुलिंग माना गया है अत: टीका संस्कृत छाया एतथा विस्तार: लोकविभागेसु भातव्यः' दी गई है, और इसलिये 'जातव्यः' क्रियापद ठीक है। प्रेमीजीने ऊपर जो 'मुन्नातव्यं रूप दिया है उसपरमे उसे गलत म समझ लेना चाहिये।
SR No.010050
Book TitleJain Sahitya aur Itihas par Vishad Prakash 01
Original Sutra AuthorN/A
AuthorJugalkishor Mukhtar
PublisherVeer Shasan Sangh Calcutta
Publication Year1956
Total Pages280
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size10 MB
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