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________________ तिलोयपएणती और यतिवृषभ तत्तो दो वे चासो सम्मं धम्मो पयदि जणाणं / कमसो दिवसे दिवसे कालमहप्पेण हाएदे // 10 // " इस घटनाचक्रपरसे यह साफ़ मालूम होता है कि तिलोयपण्णत्तीकी रचना कल्कि राजाकी मृत्युमे 10-12 वर्षसे अधिक बादकी नहीं है / यदि अधिक बादकी होती तो ग्रन्थपद्धतिको देखते हुए संभव नहीं था कि उसमें किसी दूसरे प्रधान राज्य अथवा राजाका उल्लेख न किया जाता / अस्तु, वीर-निरिण शकराजा अथवा शक संवत्से 605 वर्ष 5 महीने पहले हुमा है, जिसका उल्लेख तिलोयपण्णत्तीमें भी पाया जाता है / एक हजार वर्षमेंसे इस संख्याको घटानेपर 364 वर्ष 7 महीने अवशिष्ट रहते हैं। यही ( शक संवत 365) कल्किकी मृत्युका समय है / और इमलिये तिलोयपण्णत्तीका रचना-काल शक सं० 485 (वि० सं० 540 ) के करीबका जान पड़ता है जबकि लोकविभागको बने हुए 25 वर्षके करीब हो चुके थे, और यह प्रर्मा लोकविभागकी प्रसिद्धि तथा यतिवृषभ तक उम की पहुँचके लिये पर्याप्त है / (ख) यतिवृषभ और कुन्दकुन्दके समय-सम्बन्धमें प्रेमीजीके मतकी आलोचना ये यतिवषभ कुन्दकुन्दाचार्यमे 200 वर्ष भी अधिक समय बाद हा है. इम बातको मिद्ध करने लिये मैंने 'श्रीकुन्दकुन्द और यतिवृषभमे पूर्ववर्ती कौन ?' नामका एक लेख प्राजमे कोई 6 वर्ष पहले लिखा था / उसमें, * रिणवाणे वीरजिणे छन्वास-सदेमु पंच-वरसेमु / परण-मासेसु गदेस संजादो सग-गिनो ग्रहवा ।।-तिलोयपण्णत्ती पण-छस्सय वरगं परणमामजुदं गमिय वीरणिवुइदो। सगराजो तो कक्को नदुणवनियमहियसगमास ॥-त्रिलोकसार वीरनिर्वाण और शकसंवतकी विशेष जानकारीके लिये, लेखककी 'भगवान् महावीर और उनका समय' नामकी पुस्तक देखनी चाहिये। * देखो, भनेकान्त वर्ष 2, नवम्बर सन् 1938 की किरण नं. 1
SR No.010050
Book TitleJain Sahitya aur Itihas par Vishad Prakash 01
Original Sutra AuthorN/A
AuthorJugalkishor Mukhtar
PublisherVeer Shasan Sangh Calcutta
Publication Year1956
Total Pages280
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size10 MB
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