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________________ 416 . जैनसाहित्य और इतिहासपर विशद प्रकाश होता है / इस कदमको उठानेसे पहले मुमुक्षु कर्मयोगी अपनी शक्ति और विचारसम्पत्तिका खूब सन्तुलन करता है और जब यह देखता है कि वह सब प्रकारके कष्टों तथा उपसर्ग-परिषहोंको समभावसे सह लेगा तभी उक्त कदम उठाता है और क़दम उठादेने के बाद बराबर अपने लक्ष्यकी ओर सावधान रहता एवं बढ़ता जाता है। ऐसा होनेपर ही वह तृतीय-कारिकामें उल्लेखित उन 'सहिष्णु तथा 'अच्युत' पदोंको प्राप्त होता है जिन्हें ऋषभदेवने प्राप्त किया था, जबकि दूसरे राजा, जो अपनी शक्ति एवं सम्पत्तिका कोई विचार न कर भावुकताके वश उनके साथ दीक्षित हो गये थे, कष्ट-परिषहोंके सहने में असमर्थ होकर लक्ष्यभ्रष्ट एवं व्रतच्युत हो गये थे। एसी हालतमें इस वाह्य-परिग्रहके त्यागसे पहले और बादको भी मन-सहित पाँचों इन्द्रियों तथा लोभादिक कपायोंके दमनकी-उन्हें जीतने अथवा स्वात्माधीन रखनेकी--बहुत बड़ी ज़रूरत है / इनपर अपना (Control) होनेसे उपसर्ग-परिषहादि कष्टके अवसरोंपर मुमुक्षु अडोल रहता है, इतना ही नहीं बल्कि उसका त्याग भी भले प्रकार बनता है और उस त्यागका निर्वाह भी भले प्रकार सधता है। मच पूछिये तो इन्द्रियादिके दमन-विना--उनपर अपना काबू किये बगैर-सच्चा त्याग बनता ही नहीं, और यदि भावुकताके वश बन भी जाये तो उसका निर्वाह नहीं हो सकता। इसीसे ग्रन्थमें इस दमनका महत्व ख्यापित करते हुए उसे 'तीर्थ' बतलाया है-ससारसे पार उतरनेका उपाय सुझाया है-और 'दम-तीर्थनायकः' तथा 'अनवद्य-विनय-दमतीर्थ-नायकः' जैसे पदों-द्वारा जनतीर्थंकरोंको उस तीर्थका नायक बतलाकर यह घोषित किया है कि जैनतीर्थकरोंका शासन इन्द्रिय-कषाय-निग्रहपरक है (104,122) / साथ ही, यह भी निर्दिष्ट किया है कि वह दम (दमन ) मायाचार रहित निष्कपट एवं निर्दोष होना चाहिए-दम्भके रूपमें नहीं (141) / इस दमके साथी-सहयोगी एवं सखा ( मित्र ) हैं यम-नियम, विनय, तप और दया / अहिंसादि व्रतानुष्ठानका नाम 'यम' है। कोई व्रतानुष्ठान जब यावग्जीवके लिये न होकर परमित कालके लिए होता है तब वह नियम कहलाता है। यमको नियमः परिमितकालो यावज्जीवं यमो ध्रियते / ---रत्नकरण्ड 87
SR No.010050
Book TitleJain Sahitya aur Itihas par Vishad Prakash 01
Original Sutra AuthorN/A
AuthorJugalkishor Mukhtar
PublisherVeer Shasan Sangh Calcutta
Publication Year1956
Total Pages280
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size10 MB
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