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________________ . समन्तभद्रका स्वयम्भूस्तोत्र 383 मशेष माहात्म्यको न जानते और न कथन करते हुए भी मेरा यह थोडासा प्रलाप मापके गुणोंके संस्पर्शरूप होनेसे कल्याणका ही हेतु है।' / इससे जिनेन्द्र-गुणोंका स्पर्शमात्र थोड़ासा अधूरा कीर्तन भी कितना महत्त्व रखता है यह स्पष्ट जाना जाता है / जब स्तुत्य पवित्रात्मा, पुण्य-गुणोंकी मूर्ति पौर पुण्यकीर्ति हो तब उसका नाम भी, जो प्रायः गुगण -प्रत्यय होता है, पवित्र होता है और इसीलिये ऊपर उद्घत 87 वी कारिकामें जिनेन्द्रके नाम-कीननको भी पवित्र करनेवाला लिखा है तथा नीचेकी कारिकामें, अजितजिनकी स्तुति करते हुए, उनके नामको 'परमपवित्र' बतलाया है पोर लिखा है कि प्राज भी अपनी सिद्धि चाहनेवाले लोग उनके परमपवित्र नामको मंगलके लिये-पापको गालने अथवा विघ्नबाधा पोको टालने के लिये-जड़े प्रादरके साथ लेते हैं अद्यापि यस्याऽजिन-शामनस्य मनां प्रणेतुः प्रतिमंगलार्थम / प्रगयते नाम परम-पवित्रं म्वसिद्धि-कामेन जनेन लोके // 7 // जिन महलोंका नाम-कीर्तन तक पापोंको दूर करके प्रात्माको पवित्र करता है उनके शरगामे पूर्ण हृदयमे प्रास होने का तो फिर कहना ही क्या है-वह तो पाप-नापको और भी अधिक मान्न करके प्रात्माको पूर्ण निर्दोष एवं मुख-शान्तिमय बनाने में समर्थ है / इसी में स्वामी ममन्नभद्रने अनेक स्थानोंपर 'ततस्त्वं निर्माह: शरणमसि नः शान्नि-निलयः (120) जैसे वाक्यों के माथ अपने को प्रहन्नोंकी शरण मे अपंग किया है / यहाँ इस विषयका एक खास वाक्य उद्धृत किया जाता है. जो शरण-प्राप्ति में कारण के भी स्पष्ट उल्लेख को लिये हुए हैम्वदीप-शान्या विहितात्म-शान्ति: शान्तर्विधाता शरणं गतानाम् / भूगाव-क्लेश-भयोपशान्त्यै शान्तिनिनो मे भगवान् शरण्यः / / 8 / / इममे बतलाया है कि वे भगवान् शानिजिन मेरे शरण्य है-में उनकी शरगा लेता है-जिन्होने अपने दोगेकी-मजान, मोह तथा राग-द्वेष-काम- . क्रोधादि-विकारोंकी-शान्ति करके प्रात्मामे परमशान्ति स्थापित की है-पूर्ण मुखस्वरूपा स्वाभाविकी स्थिति प्रात की है-प्रौर इसलिये जो शरणागोंको शान्तिके विषाता है-उनमें अपने प्रात्मप्रभावसे दोपोंकी शान्ति करके शान्ति
SR No.010050
Book TitleJain Sahitya aur Itihas par Vishad Prakash 01
Original Sutra AuthorN/A
AuthorJugalkishor Mukhtar
PublisherVeer Shasan Sangh Calcutta
Publication Year1956
Total Pages280
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size10 MB
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