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________________ समन्तभद्रकी स्तुतिविद्या 346 इसने मुझे मेरी भूली हुई छत्रीकी याद दिलाई है।' यहाँ छत्री एक जडवस्तु है, उसमें बोलनेकी शक्ति नहीं, वह कुछ बोली भी नहीं और न उसने बुद्धिपूर्वक छत्री भूलनेकी वह बात ही सुझाई है, फिर भी चूकि उसके निमित्तसे भूली हुई बचीकी स्मृतिपादिरूप यह सब कार्य हुआ है इसीसे अलंकृत भाषामें उसका मआभार माना गया है। (4) एक मनुष्य किसी रूपवती स्त्रीको देखते ही उसपर आसक्त होगया, तरह-तरहकी कल्पनाएँ करके दीवाना बन गया और कहने लगा-'उस स्त्रीने मेरा मन हर लिया, मेरा चित्त बुरा लिया, मेरे ऊपर जादू कर दिया ! मुझे पागल बना दिया ! अब मैं बेकार हूँ और मुझसे उसके बिना कुछ भी करते. धरते नहीं बनता।' परन्तु उस बेचारी स्त्रीको इसकी कोई खबर नहीं-किसी बातका पता तक नहीं और न उसने उस पुरुषके प्रति बुद्धिपूर्वक कोई कार्य ही किया है-उस पुरुषने ही कहीं जाते हुए उसे देख लिया है, फिर भी उस स्त्रीके निमित्तको पाकर उम मनुष्यके प्रात्म-दोषोंको उत्तेजना मिली और उसकी यह सब दुर्दशा हुई / इसीसे वह उसका सारा दोप उस स्त्रीके मत्थे मढ़ रहा है; जब कि वह उसमें अज्ञातभावसे एक छोटासा निमित्त कारण बनी है, बड़ा कारण तो उस मनुष्यका ही भात्मदोप था। (5) एक दु:खित और पीड़ित गरीव मनुष्य एक सन्तके प्राश्रयमें चला गया और बड़े भक्तिभाबके साथ उस सन्तको सेवा-शुश्रुषा करने लगा। वह सन्त संसार-देह-भोगोंसे विरक्त है-वैराग्यसम्पन्न है-किसीसे कुछ बोलता कहता नहीं-सदा मोनसे रहता है। उस मनुष्यकी अपूर्व भक्तिको देखकर पिछले भक्त लोग सब दंग रह गये ! अपनी भक्तिको उसकी भक्तिके आगे नगण्य गिनने लगे और बड़े मादर-सत्कारके साथ उस नवागन्तुक भक्तहृदय मनुष्यको अपने-अपने घर भोजन कराने लगे और उसकी दूसरी भी अनेक भावश्यकतामोंकी पूर्ति गहे प्रेमके साथ करने लगे, जिससे वह सुखसे अपना जीवन व्यतीत करने लगा / कभी-कभी वह भक्तिमें विह्वल होकर सन्तके चरणों में गिर पड़ता और बड़े ही कम्पित स्वरमें गिडगिड़ाता हुमा कहने लगता-'हे नाप! पाप ही मुझ दीन-हीनके रक्षक है, माप ही मेरे मन्नदाता है, मापने मुझे वह भोजन दिया है जिससे मेरी जन्म-जन्मान्तरकी भूख मिट
SR No.010050
Book TitleJain Sahitya aur Itihas par Vishad Prakash 01
Original Sutra AuthorN/A
AuthorJugalkishor Mukhtar
PublisherVeer Shasan Sangh Calcutta
Publication Year1956
Total Pages280
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size10 MB
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