________________ 322 जनसाहित्य और इतिहासपर विशद प्रकाश शताब्दीके उत्तरार्धका विद्वान करार दिया गया है, वह सब भी प्रसिद्ध पौर बाषित है। पात्रकेसरी विद्यानन्दका कोई नामान्तर नहीं था, न वे तथा प्रभाचन्द्र प्रकलंकदेवके शिष्य थे मोर न उनके समकालीन विद्वान, बल्कि पात्रकेसरी तत्त्वार्थ-श्लोकवातिकादिके कर्ता विद्यानन्दसे भिन्न एक बुदे ही प्राचार्य हए है तथा प्रकलंकदेवके भी बहुत पहले होगये है और प्रकलंकदेव ईसाकी सातवीं शताब्दीके प्राय: पूर्वार्ध के विद्वान् है / इन सब बातोंके लिये 'स्वामी पात्रकेसरी और विद्यानन्द नगमक निबन्धको देखना चाहिये जो इस निबन्धसंग्रहमें अन्यत्र प्रकाशित हो रहा है।