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राजर्षि प्रसन्नचन्द्र
भगवान महावीर के समय, पोतनपुर नामक नगर में, महाराज चन्द्रगुप्त के सुपुत्र 'प्रसन्न चन्द्र' राज करते थे । यौवन और वैराग्य, एक ही साथ, इन के जीवन में, इन के निकट अाय । संसार की नश्वरता, यौवन की अस्थिरता और अल्हड़पन तथा अधिकार की मादकता के कई उदाहरण सन्त और शाखा के द्वारा, समय-समय पर इन्होंने सुन रखे थे।