________________ 24 जैनदर्शन मेरुतुङ्ग षड्दर्शननिर्णय जैनग्रन्थग्रन्थकारमें सूचित ( महेन्द्रसूरि शिष्य) ( 15 वी) गुणरत्न षड्दर्शनसमुच्चयकी प्रकाशित ( 15 वी) तर्करहस्यदीपिका भुवनसुन्दरसूरि परब्रह्मोत्थापन जैनग्रन्थग्रन्थकारमें ( 15 वी) लघु-महाविद्याविडम्बन सत्यराज जल्पमंजरी सुधानन्दगणिशिष्य ( 16 वीं) साधुविजय वादविजयप्रकरण (16 वी) हेतुदर्शनप्रकरण सिद्धान्तसार दर्शनरत्नाकर ( 16 वीं) दयारत्न न्यायरत्नावली ( 17 वीं) शुभविजय तर्कभाषावार्तिक जैनग्रन्थग्रन्थकारमें ( 17 वों) स्याद्वादमाला प्रकाशित भावविजय षत्रिंशत्जल्प- जैनग्रन्थ ग्रन्थकारमें (१७वीं) विचार विनयविजय नयकर्णिका মাহির ( १७वीं) षत्रिंशत्जल्पसंक्षेप जैनग्रन्थ अनथकारमें यशोविजय अष्टसहस्रीविवरण, प्रकाशित ( १८वीं) अनेकान्तव्यवस्था, ज्ञानबिन्दु ( नव्यशैलीमें), जैनतर्कभाषा, देवधर्मपरीक्षा, द्वात्रिंशत् द्वात्रिंशतिका, धर्मपरीक्षा, नयप्रदीप, Jain Educationa International For Personal and Private Use Only www.jainelibrary.org