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________________ जैनदार्शनिक साहित्य कुमारसेन जिनसेन द्वारा महापुराणमें (वि० 770) स्मृत कुमारनन्दि वादन्याय विद्यानन्दद्वारा प्रमाणपरीक्षामें (वि० ८वीं) उल्लिखित वादीभसिंह स्याद्वादसिद्धि प्रकाशित (वि० ८वीं) नवपदार्थनिश्चय मूडबिद्रो भंडारमें उपलब्ध अनन्तवीर्य (वृद्ध) सिद्धिविनिश्चयटीका रविभद्रपादोपजीवी अनन्त(वि० ८-९वीं) वीर्यद्वारा सिद्धिविनिश्चय टीका में उल्लिखित अनन्तवीर्य सिद्धिविनिश्चयटीका प्रकाशित रविभद्रपादोपजीवी ( ९वीं) विद्यानन्द अष्टसहस्त्री प्रकाशित (वि० ९वीं) ( आप्तमीमांमा-अष्ट शतीकी टीका) तत्त्वार्थश्लोकवार्तिक ( तस्वार्थसूत्रको टीका ), युक्त्यनुशासनालङ्कार, विद्यानन्दमहोदय तत्वार्थश्लोकवार्तिकमें स्वयं निर्दिष्ट तथा वादिदेवसूरि द्वारा स्याद्वादरत्नाकरमें उद्धत आप्तपरीक्षा प्रकाशित प्रमाणपरीक्ष प्रकाशित पात्रपरीक्षा , आप्तपरीक्षाके साथ सत्यशासनपरीक्षा प्रकाशित श्रीपुरपार्श्वनाथस्तोत्र प्रकाशित पंचमप्रकरण अप्रकाशित जैनमठ श्रवणवेलगोलामें उपलब्ध (मैसूरकुर्गसूची नं० 2803) . Jain Educationa International For Personal and Private Use Only www.jainelibrary.org
SR No.010044
Book TitleJain Darshan
Original Sutra AuthorN/A
AuthorMahendramuni
PublisherGaneshprasad Varni Digambar Jain Sansthan
Publication Year
Total Pages174
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size20 MB
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