________________ 436 जैनदर्शन श्रीदत्त जल्पनिर्णय तत्त्वार्थश्लोकवार्तिकमें (वि० ६वीं) विद्यानन्दद्वारा उल्लिखित / सुमति सन्मतितर्कटीका पार्श्वनाथचरितमें वादिराज(वि० ६वीं) द्वारा उल्लिखित सुमतिसप्तक मल्लिषेण-प्रशस्तिमें निर्दिष्ट / [ इन्हींका निर्देश सान्तरक्षितके तत्वसंग्रहमें 'सुमतेदिगम्बरस्य' के रूपमें है ] पात्रकेसरी अनन्तवीर्याचार्य द्वारा सिद्धि(वि० ६वीं) विनिश्चय टीकामें उल्लिखित पात्रकेसरी-स्तोत्र प्रकाशित [ इन्हींका मत शान्तरक्षितने तत्वसंग्रहमें 'पात्रस्वामि' के नामसे दिया है / ] वादिसिंह वादिराजके पार्श्वनाथचरित ( ६-७वीं) और जिनसेनके महापुराणमें स्मृत अकलंकदेव लघीयस्त्रय प्रकाशित (वि० 700) (स्ववृत्तिसहित ), ( अकलङ्कग्रन्थत्रयमें ) न्यायविनिश्चय प्रकाशित (न्यायविनिश्चय- ( अकलङ्कग्रन्थ त्रयमें) विवरणसे उद्धृत ), प्रकाशित प्रमाणसंग्रह, (अकलङ्कग्रन्थत्रयमें ) सिद्धिविनिश्चय प्रकाशित ( सिद्धिविनिश्चयटीकासे उद्धत ), अष्टशती प्रकाशित ( आप्तमीमांसाको टीका ) प्रमाणलक्षण ( ? ) मैसूरकी लाइब्ररी तथा कोचीनराज पुस्तकालय तिरू पुणि?णमें उपलब्ध तत्वार्थवार्तिक प्रकाशित ( तत्त्वार्थसूत्रकी टीका ) [जिनदासने निशीथचूर्णिमें इन्हींके सिद्धिविनिश्चयका उल्लेख दर्शनप्रभावक शास्त्रोंमें किया है]] Jain Educationa International For Personal and Private Use Only www.jainelibrary.org