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जैन बौद्ध तत्वज्ञान |
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(३) फिर वह भिक्षु उपेक्षा सहित स्मृतिमहित, सुखविहारी तृतीय ध्यानको प्राप्त हो विहरता है । इसने भी मारको अवा कर दिया।
(४) फिर वह भिक्षु अदुख व मसुखरून, उपेक्षा व स्मृतिसे परिशुद्ध चतुर्थ ध्यानको प्राप्त हो विहरता है । इमने भी मारको ET कर दिया ।
(५) फिर वह भिक्षु रूप सज्ञाओंको, प्रतिधा ( प्रतिहिता ) सज्ञाओंको, नानापनकी संज्ञाओंको मनमें न करक 66 अनन्त आकाश है " इस आकाश आनन्त्य आयतनको प्राप्त हो विहरता है । इसने भी मारको अन्धा कर दिया ।
(६) फिर वह भिक्षु आकाश पतनको सर्वथा, अतिक्रमण कर "अनन्त विज्ञान है" इस विज्ञान आनन्त्य आयतनको प्राप्त हो विहरता है । इसने भी मारको अन्धा कर दिया ।
(७) फिर वह भिक्षु सर्वथा विज्ञान आयतनको अतिक्रमण कर " कुछ नहीं " इस आकिचन्यायतनको प्राप्त हो विहरता है । इसने भी मारको अन्धा कर दिया ।
(८) फिर वह भिक्षु सर्वथा आकिंचन्यायतनको अतिक्रमण कर नैव सज्ञान असज्ञा आयनतको प्राप्त हो विहरता है । इसने भी मारको अन्धा कर दिया ।
(९) फिर वह भिक्षु सर्वथा नैव सज्ञान असज्ञायतनको उल्लघन कर सज्ञावेदथित निरोधको प्राप्त हो विहरता है । प्रज्ञा से देखते हुए इसके आसव परिक्षीण होजाते है । इस भिक्षुने मरको अन्धा