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________________ Ra हिन्दी - जैन-साहित्य-परिशीलन स्थानोंपर अपनी रचनाएँ लिखी हैं। इनकी नेमीश्वररास, हनुमन्तकथा, प्रद्युम्नचरित्र, सुदर्शनरास, श्रीपादरास और भविष्यदत्तकथा आदि रचनाएँ प्रधान हैं । पं० दौलतराम - बसवा निवासी प्रसिद्ध वचनिकाकार पं० दौलतरामजीने हिन्दी जैन गद्य साहित्यका ही नहीं, अपितु समस्त हिन्दी गद्य साहित्यका भापा क्षेत्रमें महान् उपकार किया है । जयपुरके महाराजसे इनका स्नेह था। बताया जाता है कि उदयपुर राज्यमे किसी बड़े पदपर यह आसीन थे । इनके पिताका नाम आनन्दराम था । इनकी जाति खण्डेलवाल और गोत्र काशलीवाल था । इन्होने पुण्यासवकथा कोश, क्रियाकोश, अध्यात्मवाराखड़ी आदि ग्रन्थोंकी रचना की है। आदिपुराण (स० १८२४ ), हरिवंश पुराण (सं० १८२९ ), पद्मपुराण (सं० १८२३) परमात्मप्रकाश और श्रीपालचरित्रकी वचनिकाएँ इन्ही के द्वारा लिखी गयी है । पं० टोडरमल - आचार्यकल्प प० टोडरमलजी अपने समय के विचारक और प्रतिभाशाली विद्वान् थे । पण्डितजी जयपुरके निवासी थे । इनके पिताका नाम जोगीदास और माताका नाम रमा या लक्ष्मी था | ये बचपन से ही होनहार थे । गूढ़से गूढ शंकाओका समाधान इनके पास ही मिलता था । इनकी योग्यता एवं प्रतिभाका ज्ञान, तत्कालीन साघमी भाई रायमल्लने इन्द्रध्वज पूजाके निमन्त्रणपत्रमे जो उद्वार प्रकट किये है, उनसे स्पष्ट हो जाता है । इन उद्द्वारोंको ज्योंका त्यो दिया जा रहा है। "यहाँ aणां भावां और घणीं वायां के व्याकरण व गोम्मटसारनीकी चर्चाका ज्ञान पाइए हैं। सारा ही विषै भाईनी टोडरमलजी के ज्ञानका क्षयोपशम अलौकिक है, जो गोम्मटसारादि ग्रन्थोंकी सम्पूर्ण लाख श्लोक टीका बणाई, और पाँच सात ग्रन्थाकी टीका वणायवेका उपाय है । न्याय, व्याकरण, गणित, छन्द, अलंकारका यदि ज्ञान पाइये है ।
SR No.010039
Book TitleHindi Jain Sahitya Parishilan Part 02
Original Sutra AuthorN/A
AuthorNemichandra Shastri
PublisherBharatiya Gyanpith
Publication Year1956
Total Pages259
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size8 MB
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