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परिशिष्ट
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खुशालचन्द काला--यह कवि देहलीके निवासी थे। कभीकभी यह सागानेर भी आकर रहा करते थे। इनके पिताका नाम सुन्दर
और माताका नाम अभिधा था। इन्होने भधारक लक्ष्मीदासके पास विद्याध्ययन किया था। इन्होंने हरिवशपुराण सवत् १७८० मे, पद्मपुराण सवत् १७८३ में, धन्यकुमार चरित्र, जम्बूचरित्र और व्रतकथाकोगकी रचना की है।
जोधराज गोदीका-यह सागानेरके निवासी है। इनके पिताका नाम अमरराज था। हरिनाम मिश्रके पास रहकर इन्होने प्रीतिकर चरित्र, कथाकोप, धर्मसरोवर, सम्यक्त्व कौमुदी, प्रवचनसार, भावदीपिका आदि रचनाएँ लिखी है। कविता इमकी साधारण कोटि की है। नमूना निम्न प्रकार है
श्री सुखराम सकल गुण खांन, वीजामत सुगछ नभ भान । घसवा नाम नगर सुखधाम, मूलवास जानौ अमिराम ।। मन्नोदकके लोग बसाय, घसुवा तजे भरतपुर माय । जिन मन्दिरमें कियो निवास, मूलवास जानी अभिराम ॥
लब्धरुचि-पुरानी हिन्दीकी शैलीमे रचना करनेवाले कवि लब्धमचि है। इन्होने सवत् १७१३ मे चन्दननृपरास नामक ग्रन्थ लिखा है। इनकी मापापर गुजरातीका भी पर्याप्त प्रभाव है।
लोहट-कवि लोहटके पिताका नाम धर्म था। यह वघेरवाल थे। यह सबसे छोटे थे। हीग और सुन्दर इनके बड़े भाई थे। पहले यह सामरमें रहते थे और फिर बून्दीमे आकर रहने लगे थे। कविके समयमे राव भावसिहका राज्य था। इन्होंने बून्दी नगर एवं वहाँके राजवंशका वर्णन किया है। इन्होने यशोधर चरितका पद्यानुवाद सवत् १७२१ मे समाप्त किया है।
ब्रह्मरायमल यह मुनि अनन्तकीर्तिके शिष्य थे | जयपुर राज्यके निवासी थे। इन्होंने शोरगढ़, रणथम्भोर एव सांगानेर आदि