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মন্ত্রীঘীনা
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तम प्रतीक द्वारा की है । तम प्रतीकका प्रयोग आत्माके मोह, मिथ्यात्व और अजान इन तीनों के भावोकी अभिव्यजना के लिए किया गया है। ,
कम्बल' प्रतीकका प्रयोग आशा-निराशाकी द्वन्दात्मक अवस्थाके विश्लेषण के लिए किया गया है। यह स्थिति विलक्षण है, इस अवस्थामे मानसिक स्थिति एक भिन्न रूपकी हो जाती है। ___ सन्ध्याका प्रयोग आन्तरिक वेदना, जो राग-द्वेषके कारण उत्पन्न होती है, की अभिव्यक्तिके लिए किया है। रजनीका प्रयोग निराशा और सयम च्युतिकी अभिव्यक्तिके लिए किया गया है। रजनीमे एकाधिक भावोका मिश्रण है। मोहके कारण व्यक्तिके मनमें अहर्निश अन्धकार विद्यमान रहता है, कवि भूधरदासने इसी भावकी अभिव्यञ्जना रजनीद्वारा की है। • मधुछचा विषयाभिलाषाका प्रतीक है। कचन और कामिनी ऐसे दो पदार्थ है, जिनके प्रलोभनसे कोई भी रागी व्यक्ति अपनेको अछूता नहीं रख सकता है। तृष्णा और विषयामिलाषाके उत्तरोत्तर बढनेसे व्यक्ति असयमित हो जाता है, जिससे उसे नाना प्रकारके दुःख उठाने पड़ते हैं। इन मनोरम विषयोंको प्राप्त करनेकी वाञ्छासे ही जीवनको कुत्सित और नारकीय बनाया जा रहा है।
ऊट' अहकारका प्रतीक है। अहकारके आधीन रहनेसे नम्रता गुण नष्ट हो जाता है, ऐसा कोरा व्यक्ति आत्मविज्ञापन करता है। ऊँट अपनी टेढी गर्दन द्वारा नीचेकी अपेक्षा अपरको ही देखता है, इसी प्रकार घमडी व्यक्ति दूसरोके छिद्रोका ही अन्वेषण करता है। उसकी आत्माका मार्दव गुण तिरोहित हो जाता है। उसके आत्मिक गुण भी ऊंटकी गर्दनकै समान वक्र ही रहते है।
1. नाटक समयसार पृ० ३९ । २. ३. धानव-विलास । १. दोहा पाहुड दो० १५॥
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