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________________ हिन्दी - जैन- साहित्य-परिशीलन गंगाजल के साथ समुद्रका खारा उदक भी पान कस्नेको मिलेगा, पर विश्वास रखिये, स्वाद बिगड़ने न पायेगा । शताश भी कथा-साहित्य इस प्रकार हिन्दी जैन साहित्यका गद्य भाग नाटक, उपन्यास, कहानियाँ, निबन्ध, संस्मरण, आत्मकथा, गद्यकाव्य आदिके द्वारा दिनोंदिन खूब पल्लवित और पुष्पित हो रहा है। जैन लेखकोंका जितना ध्यान निबन्ध रचनाकी ओर है, यदि उसका या गद्यगीतोंकी ओर चला जाय तो निश्चय ही हिन्दी जैन गद्य साहित्य अपने आलोक से समग्र हिन्दी साहित्यको जगमगा दे | नवीन लेखकोको इस ओर अवश्य ध्यान देना चाहिए। जैन कथाओ द्वारा सुन्दर और रोचक गद्य-पद्यमे काव्य लिखे जा सकते हैं। វឌខ इसके अतिरिक्त सस्मरण, जीवन-चित्र तथा विभिन्न विषयोंके निबन्धोके संकलन भी अभिनन्दन-ग्रन्थोंके नामसे प्रकाशित हुए हैं। इनमे निम्न ग्रन्थ प्रसिद्ध है । (१) श्री प्रेमी - अभिनन्दन ग्रन्थ । (२) श्री वर्णी - अभिनन्दन ग्रन्थ (३) श्री . पं० चन्दाबाई अभिनन्दन ग्रन्थ । (४) श्री हुकमचन्द अभिनन्दन ग्रन्थ । (५) श्री आचार्य शान्तिसागर श्रद्धाञ्जलि ग्रन्थ ।
SR No.010039
Book TitleHindi Jain Sahitya Parishilan Part 02
Original Sutra AuthorN/A
AuthorNemichandra Shastri
PublisherBharatiya Gyanpith
Publication Year1956
Total Pages259
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size8 MB
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