________________
११२ हिन्दी-जैन-साहित्य परिशीलन
कथाकी समस्त घटनाएँ शृङ्खलाबद्ध नहीं हैं, सभी घटनाएँ उखडी हुई सी हैं । लेखकका लक्ष्य सामाजिक बुराइयोको दिखला कर लोकशिक्षा देना है।
सुमेरुचद एक सेठ हैं । इनकी पत्नी अत्यन्त कठोर और कर्कशहृदया है । वह अपने देवरको फूटी आखो भी देखना नहीं प्रसन्द करती । पत्नी की बातोमे सुमेरुको विश्वास है । अतः महेन्द्रको निशिदिन भाई और भावजकी झिड़कियाँ सहनी पड़ती हैं। इधर कलहसे घबडाकर महेन्द्र विदेश जानेको उत्सुक होता है। उसने मॉके समक्ष अपनी इच्छा प्रकट की। मॉने प्यारे पुत्रको विदेश न जाने देनेके लिए अनेक यन किये पर वह न माना | चला ही गया भारत मॉके उद्धारके लिए और सलग्न हो गया देश-सेवामें | जुआरी सुमेरु जुएमे सब हार घर आया और पत्नीके आभूषण मॉगने लगा। पत्नीकी त्योरिया बदल गईं। इतनेमे एक भृत्य उसे बुलाकर ले गया। __एक ब्रह्मचारी और उनके मित्र नन्दलाल जापान जा रहे थे । मार्गमे मादक कान्फ्रेन्स होते देख रुक गये। एक विशाल मण्डपमें कान्फेन्सका जलसा हो रहा था, नशेमे सब मस्त थे। वे देशमे अधिकसे अधिक भग, तम्बाकू, सिगरेट आदिका प्रचार करनेका प्रस्ताव पास कर रहे थे । ब्रह्मचारी नवयुवकोकी इस तवाहीको देखकर परम दुखित हुए । भाषण-द्वारा उसका उत्थान करनेको चेष्टा की।
इसी समय एक सुशीला कन्याका स्वयवर रचा जा रहा था जिसमे अनेक कुमारोके साथ महेन्द्र भी पहुंचा, वरमाला महेन्द्र के गलेमे पर्डी । दोनोका विवाह हो गया।
ब्रह्मचारी राजदरबारमे पहुंचा और लगा राजाके समक्ष राजकुमारकी चरित्रभ्रष्टता, मद्यपान और व्यभिचारके समस्त दूषण प्रकट करने । सुमित्राके साथ बलात्कार करनेका प्रमाण भी राजाको दिया। उन्होंने दरबारमें महेन्द्र, सुमित्रा और राजकुमार तीनोंको बुलाया। राजकुमारको