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पुरातन काव्य-साहित्य
एक घटनाको लेकर ही ये कथाएँ नही लिखी गयी हैं, बल्कि इनमे सर्वाङ्गीण जीवनका चित्राकन सफलतापूर्वक किया गया है। इस कयासंग्रहमें चारुदत्त, राना श्रेणिक, सेठ सुदर्शन, प्रभावती, वज्रदन्त, पूजाका फल, नवकारमन्त्रका फल आदि कथाएँ अधिक मर्मस्पर्शी है।
सेठ सुदर्शनकी कथाको ही लीजिये। निश्चकित एवं श्रद्धामय भावनासे एक मन्त्रक दृढ़ श्रद्धानके फलसे एक ग्वाला भरकर श्रीष्टिपुत्र सुन्दर कुमार होता है । उसका रूप-लावण्य इतना आकर्षक है कि एक रानी भी उसके चरणोंमे गिर पडती है और रूपकी भिक्षा मॉगती है। इस स्थानपर मानवकी रागात्मक भावनाओंका हृदय-ग्राह्य सूक्ष्म विश्लेषण किया है। इस कथामे सत्संगति और कुसगतिके फलकी भी अमिव्यनना की गयी है। तीन दिनकी मुनिसंगतिसे एक गणिका अपने कृत्योपर पचात्ताप करती हुई अन्यायोपार्जित धनपर लात मारकर आर्यिकाकै व्रत ग्रहण कर लेती है और अन्तमें उच्च पद पाती है। इस कथामे शुभाशुभ कर्चव्यके फलाफलका सरस विवेचन किया गया है। अन्य कथाएँ भी आनन्दानुभूति उत्पन्न करनेवाली हैं। चारुदचको कथा तो इतनी मार्मिक है कि कोई भी प्राणी इसे पढ़कर दो ऑसू गिराये विना नहीं रह सकता। इसी प्रकार अवशेष कथाएँ भी रस-सचार करती हैं।
इस संग्रहकी वर्णनशैली मनोरम और अलंकृत हैं। काव्यक चमत्कारके साथ सौन्दर्यानुभूति इसमें चार चाँद लगाये हुए है। __जोधराज गोदीआ विरचित सम्यक्त्वकौमुदीकी कथाएँ भी बही रोचक हैं। दोहा, सवैया, सोरठा, छप्पय, चौपई आदि छन्दोंमे यह कथाग्रन्थ लिखा गया है। जीवनकै विभिन्न धात-प्रतिघातोंका सुन्दर विश्लेपण इस काव्य-ग्रन्थमें किया है। घटना-निर्माण और परिस्थितियोजनाका सुन्दर समावेश किया गया है। कविता अच्छी है । उदाहरणके लिए एक छप्पय उद्धृत किया जाता है