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सण्डकाव्यरत
पुरातन काव्य-साहित्य मार्गमे अक्स्मात् वह विमान फट गया और सेठकी मृत्यु हो गयी। तेठानियाने संसारके स्वल्पका विचारकर धैर्य धारण किया और अन्तम समाधिपूर्वक प्राण-विसर्जन करनेके कारण देव हुई।
मुनिराजके उपदेशसे अयकरीको विरक्ति हो गयी और उसने तपस्याद्वारा प्राण विसर्जनकर देव-पर्याय प्राप्त की।
यद्यपि इसमे खंडकाव्यके अनेक क्षण नहीं भी पाये जाते है, फिर मी जीवनको प्रभावित करनेवाली घटनामें सार्वजनीन चित्रण है । इसका
- नायक धवलसेठ और नायिका मल्लिदेवी है। नायक खण्डकान्यव सात्त्विक प्रकृतिका है और नायिका तामसी प्रकृतिकी, इसमे लोमकी पराकाष्ठा है । मल्लिकी आधिकारिक कथावस्तु है और लोमदत्त सेठको कथा प्रासंगिक है। दोनो कथाओंम अन्विति है। लेभीकी सूक्ष्म मानसिक दशाओका चित्रण करनेम कविको पूर्ण सफलता मिली है। ___ खरी आलोचनाकी दृष्टिसे वह सफल खंडकाव्य नहीं भी ठहरता है, पर जीवनके कतिपय तत्त्वोका विवेचन ऐश मार्मिक हुआ है, जिससे इसे सफल खंडकाव्य कहा जा सकता है। पाश्चात्य समीक्षा पद्धतिमें नायकका वर्ग और जातिका प्रतिनिधि होना तथा परिस्थितियोंका ऐसा निर्माण रहे, जिसने नायक अपना विस्तार कर सके और उसके चरित्रका दर्शन समी कर सके खंडकाव्यका विषय है। वस्तु, संवाद आदि भी इसके सफल हैं।
कवि मनरालाल विरचित यह एक खण्डकाव्य है। इसकी भाषा मिला कन्नौजीसे प्रभावित खड़ी बोली है। भगवान् नेमिनाथ
का चरित कवियोंके लिए अधिक आकर्षक रहा है, अतएव अपभ्रंश और हिन्दीम अनेक रचनाएँ काव्यल्पमें लिखी गयी हैं।
जम्बूद्वीपके भरतक्षेत्रके अन्तर्गत सौराष्ट्र देशमे द्वारावती नगरी थी। इस नगरीम राजा समुद्रविनय राज्य करते थे। ये बड़े धर्मात्मा परान्म
शाली और शूरवीर थे। इनकी रानीका नाम शिवदेवी था। इनके पुत्रका नाम नेमिकुमार रखा गया ।
कथावस्त