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हिन्दी-जैन-साहित्य परिशीलन होंगे, उस समय आप दृढ़ रह सकेंगे ? आप मोहराजाके भयंकर अलोंसे अपरिचित हैं?
चेतन राजा ज्ञानदेव ! वात तो तुम्हारी ठीक है। मोहरानाने भुलावा देकर ही अपनी पुत्री कुबुद्धिके साथ मेरा विवाह कर दिया, जिसके कगीभूत हो मैने कौन-कौन कुकर्म नहीं किये हैं ? परन्तु हमें अपनी अतुलित शक्तिका पूर्ण विश्वास है, विजय-लामी मिलेगी। रमणियोके कटाक्ष-वाण हमारा कुछ भी नहीं बिगाड़ सकेंगे, परन्तु तुम्ह हमारा साथ देना पड़ेगा | वीर तुमने यदि दृढ़तासे हमारा साथ दिया तो मोहका सैन्यदल हमारा कुछ भी नहीं विगाड़ सकेगा। अतः रणनीतिके अनुसार विवेक-दूतको मोहरानाके पास मेज देना चाहिये, शायद सन्धि हो जाय। यहॉ किसीका बुलाना ठीक नहीं | जब हममें अनन्त बल है, अनन्त सुख है, फिर इतना भय क्यों ?"
बहुत विचार-विनिमयके वाद शानदेवके सेनापतित्वमें चेतनरानाकी सेना और कामदेव कुमारके सेनापतित्वम मोहरानाकी सेनाका युद्ध होने लगा। ज्ञानदेव समरनीतिका विशेषज्ञ था, यद्यपि कामदेवकुमार भी राजनीतिका पण्डित था, पर था शरीरसे सुकुमार । कठोर बलबाली शानदेवने सुकुमार कामदेव कुमारको एक ही वाणमें धराशायी कर दिया, यद्यपि कामदेव कुमारने अपना पौरुष दिखलाने में कोई कमी नहीं की, किन्नु ज्ञानदेवके समक्ष उसकी एक भी चाल सफल नहीं हुई । नानदेवने चक्रव्यूह-रचना की और द्वारस्सरक्षणका भार व्रतदेवको प्रदान किया । इस चक्रव्यूहको तोड़नेम मोहराजाकी सारी सेना अक्षम रही और शानदेवने अवसर पा ज्ञानावरण, दर्शनावरण, मोहनीय और अन्तराय इन चारों वीरोंको मूछित कर दिया। मिथ्यात्वमट, जो कि मोहका बलवान सेनानी था, व्रतदेवने गिरा दिया। अविरतिको भी इस प्रकार पटका, जिससे यह वीर रणभूमिसे उठ ही नहीं सका, और सटाके लिए सो गया।