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________________ के चावल ), गेहूँ, जव, जवार की योनि ३ वर्ष तक सचित्त रहती है कलाथ ( मटर ), मसूर, तिल, मूग, उड़द, चवला, कुलथ, (चोला के आकार वाला चपटा धान-कलथी ) तूर, चना आदि की योनि ( उत्कृष्ट ) ५ वर्ष तक सचित्त रहती है। अलसी, कुसुम्भ, कोद्रव, कांगणी, वस्टी, राल, सण, सरसों आदि की योनि ( उत्कृष्ट ) ७ वर्ष तक सचित्त रहती है, पीछे अचित्त हो जाती है। २- अहो भगवान् ? एक मुहूर्त के कितने श्वासोच्छ्वास होते हैं ? हे गौतम ! एक मुहूर्त में ३७७३ श्वासोच्छ्वास होते हैं । एक समय से लेकर शीर्षप्रहेलिका तक गणित है। इसके बाद पल्योपम, सागरोपम यावत् कालचक्र तक उपमा काल हैं । ३-अहो भगवान् ! अवसर्पिणी काल के सुषमासुषम श्रारा में इस जम्बूद्वीप के भरतक्षेत्र में कैसा भाव था ? हे गौतम ! भूमि-भाग बहुत समं रमणीय था यावत् देवकुरु उत्तरकुरु क्षेत्र । के जुगलियों की तरह यहाँ ६ प्रकार के उत्कृष्ट सुख वाले मनुष्य बसते थे-१ पद्म समान गन्ध वाले, २ कस्तूरी समान गन्ध वाले, ३ ममत्व रहित, ४ तेजस्वी, रूपवन्त, ५ सहनशील, ६ उतावल रहित गम्भीर गति से चलने वाले मनुष्य बसते थे। - सेवं भंते ! ... सेवं भंते !! .....
SR No.010034
Book TitleBhagavati Sutra ke Thokdo ka Dwitiya Bhag
Original Sutra AuthorN/A
AuthorGhevarchand Banthiya
PublisherJain Parmarthik Sanstha Bikaner
Publication Year1957
Total Pages139
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari, Agam, & Canon
File Size6 MB
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