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और तुपित देव के ७ देवस्वामी और ७००० देव का परिवार है । व्यावा, और रिष्ट देव के 8 देवस्वामी और ९०० देव का परिवार है । सव प्राणी भूत जीव सत्व अनेक बार अथवा अनन्तीवार लौकान्तिक देवपने उत्पन्न हुए हैं किन्तु लौकान्तिक देवीपने उत्पन्न नहीं हुए हैं ।
हो भगवान् ! लौकान्तिक विमानों में कितनी स्थिति कही गई है ? हे गौतम ! लौकान्तिक विमानों में - सागरोपम की स्थिति कही गई है ।
श्रहो भगवान् ! लौकान्तिक विमानों से लोकान्त ( लोक का अन्त ) कितना दूर है ? हे गौतम ! लौकान्तिक विमानों से असंख्य हजार योजन की दूरी पर लोकान्त है ।
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सेव संते !
सेवं संते !!
( थोकड़ा नं० ५३ ) श्री भगवतीजी सूत्र के छठे शतक के छठे उद्देशे में मारणान्तिक समुद्घात करके मरने उपजने का थोकड़ा चलता है सो कहते हैं—
१ – अहो भगवान् ! पृथ्वियाँ कितनी कही गई हैं ? हे गौतम ! पृथ्वियाँ सात कही गई हैं- रत्नप्रभा यावत् तमतमाप्रमाः । २ --- अहो भगवान् ! रत्नप्रभा में कितने नरकावासा कहे गये हैं ? हे गौतम ! रत्नप्रभा में ३० लाख नरकावासा कहे गये. लौकान्तिक देवों का विस्तृत वर्णन 'जीवाभिगम सूत्र' के देवोदेशक में है ।