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________________ ८३ और तुपित देव के ७ देवस्वामी और ७००० देव का परिवार है । व्यावा, और रिष्ट देव के 8 देवस्वामी और ९०० देव का परिवार है । सव प्राणी भूत जीव सत्व अनेक बार अथवा अनन्तीवार लौकान्तिक देवपने उत्पन्न हुए हैं किन्तु लौकान्तिक देवीपने उत्पन्न नहीं हुए हैं । हो भगवान् ! लौकान्तिक विमानों में कितनी स्थिति कही गई है ? हे गौतम ! लौकान्तिक विमानों में - सागरोपम की स्थिति कही गई है । श्रहो भगवान् ! लौकान्तिक विमानों से लोकान्त ( लोक का अन्त ) कितना दूर है ? हे गौतम ! लौकान्तिक विमानों से असंख्य हजार योजन की दूरी पर लोकान्त है । 1 सेव संते ! सेवं संते !! ( थोकड़ा नं० ५३ ) श्री भगवतीजी सूत्र के छठे शतक के छठे उद्देशे में मारणान्तिक समुद्घात करके मरने उपजने का थोकड़ा चलता है सो कहते हैं— १ – अहो भगवान् ! पृथ्वियाँ कितनी कही गई हैं ? हे गौतम ! पृथ्वियाँ सात कही गई हैं- रत्नप्रभा यावत् तमतमाप्रमाः । २ --- अहो भगवान् ! रत्नप्रभा में कितने नरकावासा कहे गये हैं ? हे गौतम ! रत्नप्रभा में ३० लाख नरकावासा कहे गये. लौकान्तिक देवों का विस्तृत वर्णन 'जीवाभिगम सूत्र' के देवोदेशक में है ।
SR No.010034
Book TitleBhagavati Sutra ke Thokdo ka Dwitiya Bhag
Original Sutra AuthorN/A
AuthorGhevarchand Banthiya
PublisherJain Parmarthik Sanstha Bikaner
Publication Year1957
Total Pages139
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari, Agam, & Canon
File Size6 MB
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