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रक शरीर जीव मनुष्य में एक जीव बासरी सिय सप्रदेशी सिय अप्रदेशी, बहुत जीव भासरी छह भांगे होते हैं ।
१४ पर्याप्ति द्वार-आहार पर्याप्ति शरीरपर्याप्ति इन्द्रिय पर्याप्ति श्वासोच्छ्वास पर्याप्ति में समुच्चय जीव, २४ दंडक में एक जीव आसरी सिय सप्रदेशी सिय अप्रदेशी, बहुत जीव प्रासरी समुच्चय जीव एकेन्द्रिय को छोड़ कर तीन तीन मांगे, समुच्चय जीव एकेन्द्रिय में एक-तीसरा मांगा होता है। भापा पर्याप्ति में समुच्चय जीव १६ दंडक में, मनः पर्याप्ति में समुच्चय जीव १६ दंडक में एक जीव आसरी सिय सप्रदेशी सिय अनदेशी, बहुत जीव आसरी तीन तीन मांगे होते हैं। आहार अपर्याप्ति समुच्चय जीव, २४ दंडक में एक जीव श्रासरी सिय सप्रदेशी सिय अप्रदेशी, बहुत जीव आसरी जीव एकेन्द्रिय को छोड़ कर छह छह भांगे, जीव एकेन्द्रिय में एक तीसरा मांगा होता है । शरीर अपर्याप्ति इन्द्रिय अपर्याप्ति श्वासोच्छास अपर्याप्ति समु. च्चय जीव २४ दंडक में एक जीव आसरी सिय सप्रदेशी सिय अप्रदेशी, बहुत जीव आसरी जीव एकेन्द्रिय में एक-तीसरा भांगा होता है, नारकी देवता मनुष्य में छह छह भांगे होते हैं। तीन विकलेन्द्रिय और तिर्यञ्च पंचेन्द्रिय में तीन तीन भांगे होते हैं। भाषा अपर्याप्ति में समुच्चय जीव, १६ दंडक में, मनः अपर्याप्ति में समुच्चय जीव १६ दंडक में एक जीव आसरी सिय सप्रदेशी सिय अप्रदेशी, बहुत जीव आसरी तीन तीन. भांगे नवरं नारकी देवता मनुष्य में छह छह भांगे होते हैं। . . . . सेव भत!
. . . .सब भते!! .. ..
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