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समुच्चय जीव २४ दण्डक में एक जीव आसरी सिय सप्रदेशी सिय अप्रदेशी, बहुत जीव आसरी जीव एकेन्द्रिय को छोड़ कर तीन तीन भांगे, जीव एकेन्द्रिय में एक तीसरा भांगा नवरं नारकी में छह भांगे । अकषायी जीव मनुष्य सिद्ध भगवान में एक जीव प्रासरी सिय सप्रदेशी सिय अप्रदेशी, बहुत जीव आसरी तीन तीन मांगे होते हैं। .. ६ ज्ञान द्वार- सज्ञान (समुच्चय ज्ञान ) समुच्चय जीव १६ दाहक सिद्ध भगवान में एक जीव आसरो सिय सप्रदेशी सिय अप्रदेशी, बहुत जीव बासरी तीन तीन भांगे नवरं विकलेन्द्रिय में छह मांगे होते हैं । मतिज्ञान, श्रुतज्ञान समुच्चय जीव १६ दण्डक में, अवधिज्ञान समुच्चय जीव १६ दण्डक में, मनःपर्यय ज्ञान; केवलज्ञान समुच्चय जीव मनुष्य में एक जीव
आसरी सिय सप्रदेशी सिय अप्रदेशी, बहुत जीव आसरी तीन तीन मांगे नवरं मतिज्ञान, श्रुतज्ञान में तीन विकलेन्द्रिय में छह भांगे होते हैं। समुच्चय अज्ञान, मति अज्ञान, श्रुतं अज्ञान समुचय जीव २४ दण्डा में, विभंग ज्ञान समुच्चय जीव १६ दण्डक में एक जीव आसरी सिय संप्रदेशी सिय अप्रदेशी, बहुत जीव प्रासरी एकेन्द्रिय को छोड़ कर तीन तीन भांगे, एकेन्द्रिय में एक तीसरा मांगा होता है। - ... - १० योग द्वार-सयोगी में समुच्चय एक जीव अासरी बहुत जीव आसरी नियमा संप्रदेशी । २४ दण्डक में एक जीव आसरी सिय संप्रदेशी सिय अप्रदेशी, बहुत जीव आसरी एके