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सप्रदेशी सिय अप्रदेशी। बहुत जीव आसरी--जीव और. सिद्ध में तीन तीन मांगे होते हैं, मनुष्य में छह मांगे होते हैं।..
६ दृष्टिद्वार-समदृष्टि, समुच्चय जीव १६ दण्डक सिद्ध भगवान् में एक जीव आसरी सिय सप्रदेशी सिय अप्रदेशी, बहुत जीव आसरी तीन मांगे होते हैं, नवरं तीन विकलेन्द्रिय में छह मांगे होते हैं। मिथ्याष्टि, समुच्चय जीव २४ दण्डक में एक जीव बासरी सिव सप्रदेशी सिय अप्रदेशी । बहुत जीव
आसरी-एकेन्द्रिय को छोड़ कर समुच्चय जीव, १६ दंडक में तीन तीन मांगे होते हैं। एकेन्द्रिय में १ तीसरा मांगा होता है। सम्यगमिथ्यादृष्टि (मिश्रदृष्टि ), समुच्चय जीव. १६ दण्डक बासरी एक जीव सिय सप्रदेशो सिय अप्रदेशी, बहुत जीव प्रासरी छह वह भांगे होते हैं।
७ संयत द्वार-संजति में समुच्चय जीव मनुष्य, संजतासंजति में समुच्चय जीव मनुष्य, तिर्यश्च एक जीव आसरी सिय सप्रदेशी सिय अप्रदेशी, बहुत जीव आसरी तीन तीन भांगे होते हैं । असंजति, समुच्चय जीव २४ दण्डक में एक जीव
आसरी सिय सप्रदेशी सिय अप्रदेशी, बहुत जीव प्रासरी-एके-न्द्रिय को छोड़ कर समुच्चय जीव, १९ दंडक में तीन-तीन भांगे
होते हैं, एकेन्द्रिय में १ तीसरा मांगा होता है। नो संजति नों - असंजति नो संजतासंजति जीव सिद्ध भगवान् एक जीव आसरी सिय संप्रदेशी सिय अप्रदेशी, बहुत जीव आसरी तीन भांगे होते हैं।