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________________ S ४-संज्ञी ( सन्नी ) द्वार-संज्ञी में ७ कर्मों की भजना, वेदनोय की नियमा। असंज्ञी में ७ कमी की नियमा, आयुको की सजना । नोसंज्ञी नो असंज्ञी में वेदनीय की भजना, ७ कर्मों का प्रबन्ध । . . . ५-भवी द्वार-सवी में ८ कर्मों की भजना | अंभवी में ७ कर्मों की नियमा, आयुकर्म की भजना । नो सत्री नो अभवी में ८ कर्मों का प्रबन्ध । ६-दर्शनद्वार-तीन दर्शन ( चक्षुदर्शन, अवक्षुदर्शन, अवधिदर्शन ) में ७ कर्मों की भजना, वेदनीय की नियमा । केवल दर्शन में वेदलीय की सजना, ७ कर्मों का प्रबन्ध । . . ७-पर्याप्तद्वार-पर्याशा में ८ कर्मों की भजना। अपर्याप्ता में ७ कर्मों की नियमा, आयुकर्म की सजना । नो पर्याप्ता नो अपर्याप्ता में ८ कर्मों का प्रबन्ध। .... . -८-भाषकद्वार---भाषक में ७ कर्मों की भजना, वेदनीय की नियमा। अभाषक में ८ कर्मों की भजना। 8-परित्त ( पड़त ) द्वार–परित्त ( पड़त) में ८ कमों की भजना.। अपरित्त (अपड़त) में ७कों की नियमा, श्रायुकर्म की भजना । नोपरित्त नोअंपरित्त (नोपड़त नोअपड़त ) में कों का अनन्ध ! ......... ... ... .. ... १०-ज्ञान द्वार-चार ज्ञान में ७ कर्मों की भजना, वेदनीय की नियमा । केवलज्ञान में वेदनीय की भजना, ७ कर्मों का
SR No.010034
Book TitleBhagavati Sutra ke Thokdo ka Dwitiya Bhag
Original Sutra AuthorN/A
AuthorGhevarchand Banthiya
PublisherJain Parmarthik Sanstha Bikaner
Publication Year1957
Total Pages139
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari, Agam, & Canon
File Size6 MB
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