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________________ ३४ ३ - श्रहो भगवान् ! क्या परमाणु पुद्गल अग्नि शिखा श्रादि में से निकले ? हाँ, गौतम । निकले । श्रहो भगवान् ! अनि शिखा आदि में से निकले तो क्या वह परमाणु पुद्गल जले ? हे गौतम ! णो इसम (नहीं जले ) इसी तरह दो प्रदेशी खंध से लेकर सूक्ष्म अनन्त प्रदेशी खंध तक कह देना | बादर अनन्त प्रदेशी संघ अग्नि शिखा आदि में सिय जले सिय नहीं जले । 1 ४- अहो भगवान् ! क्या परमाणु पुद्गल पुष्कर संवर्त मेघ के बीच में से निकले ? हाँ, गौतम ! निकले । श्रहो भगवान् ! पुष्कर संवर्त मेघ के बीच से निकले तो क्या भींजे ? हे गौतम ! नहीं भींजे | हो भगवान् ! क्या परमाणु पुद्गल गंगा सिन्धु महानदियों के प्रवाह में से निकले ? हाँ, गौतम ! निकले । हो भगवान् ! परमाणु पुगल गंगा सिन्धु महानदियों के प्रवाह:. में से निकले तो क्या स्खलना पावे ? हे गौतम ! नहीं पावे । . इसी तरह दो प्रदेशी खंध से लेकर सूक्ष्म अनन्तप्रदेशी खंध तक कह देना | चादर अनन्त प्रदेशी खंध पुष्कर संवर्त मेघ से सिय भींजे सिय नहीं भींजे । गंगा सिन्धु महा नदी के प्रवाह में सिय स्खलना पावे, सिय नहीं पावे । 7 ५- अहो भगवान् ! क्या परमाणु पुद्गल स े समझे * साड्डे - आधा भाग सहित । सम— मध्य भाग सहित । सपए से - प्रदेश सहित । अगड्डू –आधा भाग रहित | 'अमज्मे - मध्य भाग रहित । अपएसे - प्रदेश रहित See F
SR No.010034
Book TitleBhagavati Sutra ke Thokdo ka Dwitiya Bhag
Original Sutra AuthorN/A
AuthorGhevarchand Banthiya
PublisherJain Parmarthik Sanstha Bikaner
Publication Year1957
Total Pages139
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari, Agam, & Canon
File Size6 MB
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