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नहीं कम्पे, ३ सिय एक देश कम्पे, एक देश नहीं कम्पे, ४ सिय एक देश कम्पे, बहुत देश नहीं कम्पे, ५ सिय बहुत देश कम्पे एक देश नहीं कम्पे । चार प्रदेशी खंध में भांगा पावे छह - १ सिय कम्पे, २ सिय नहीं कम्पे, ३ सिय एक देश कंपे एक देश नहीं कम्पे, ४ सिय एक देश कम्पे बहुत देश नहीं कम्पे, ५ सिंय बहुत देश कम्पे एक देश नहीं कम्पे, ६ सिय बहुत देश कम्पे बहुत देश नहीं कम्पे । चार प्रदेशी की तरह पांच प्रदेशी यावत् दस प्रदेशी, संख्यात प्रदेशी असंख्यात प्रदेशी, सूक्ष्म अनन्तप्रदेशी, बादर अनन्त प्रदेशी खंध तक छह छह भांगा कह देना । सब भांगा * ७६ हुए ।
२ - हो भगवान् ! क्या परमाणु पुद्गल तलवार की धार, खुर ( उस्तरा ) की धार पर बैठे ( आश्रय लेवे ) १ हाँ गौतम ! बैठे । श्रहो भगवान् ! क्या उस परमाणु पुद्गल का छेदन भेदन होवे ? हे गौतम ! गो इणट्टे समड़े ( छेदन भेदन नहीं होवे ) । इसी तरह सूक्ष्म अनन्त प्रदेशी खंध तक कह देना | बादर अनन्त प्रदेशी खंध तलवार की धार, खुर की धार पर बैठे, सिय छेदन भेदन पावे, सिय नहीं पावे ।
ॐ परमाणु पुद्गल से २ भांगे, दो प्रदेशी खंध से ३. भांगे, तीन.... प्रदेशी संघ से ५ भांगे, चार प्रदेशी खंध से दश प्रदेशी खंध तक ७ बोलों में ६-६ भांगों के हिसाब से ४२ भांगे, संख्यात प्रदेशी खंध से जाव बाद अनन्त प्रदेशी खंध तक ४ बोलों में ६-६ भांगों के हिसाब से २४ भांगे सब मिलकर २+३+५+ ४२ + २४ = ७६ भाँगे हुए |
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