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________________ V ३- अहो भगवान् ! ज्योतिषी देवों में कितने अधिपति है ? हे गौतम! ज्योतिषी देवों में चन्द्र और सूर्य ये दो अधिपति और ये दो इन्द्र हैं। इनमें लोकपाल नहीं होते । ४- प्रदो भगवान् | वैमानिक देवों में कितने अधिपति हैं ? हे गौतम ! पहले दूसरे देवलोक में १० अधिपति हैं । इसी तरह तीसरे चौथे में १०, पांच से आठ तक में ५-५ ( एक-एक इन्द्र चार-चार लोकपाल ), नवमा, दसवां में ५, ग्यारहवां, बारहवां में ५ अधिपति हैं । नवग्रैवेयक और अनुत्तर विमानों में अधिपति नहीं होते । वे सब श्रहमिन्द्र है । दक्षिण दिशा के लोकपालों के जो नाम कहे हैं वे ही उत्तर दिशा के लोकपालों के नाम हैं । किन्तु तीसरे के स्थान में चौथा और चौथे के स्थान में तीसरा नाम कहना चाहिए। इनके नाम ठायोग सूत्र के चौथे ठाणे में हैं । सेवं भंते ! सेवं भंत !! ( घोकड़ा नं० ४० ) श्री भगवतीजी सूत्र के तीसरे शतक के दसवें उद्देशे में 'देवता देवी की परिषद् परिवार, स्थिति' का थोड़ा चलता है सो कहते हैं : १- अहो भगवान् । भवनपति और वैमानिक देवों में कितनी परखदा ( परिषद् सभा - ) हैं ?? हे गौतम! तीन तीन परखदा है-समिया ( शमिका - शमिता ), चण्डा, जाया ।
SR No.010034
Book TitleBhagavati Sutra ke Thokdo ka Dwitiya Bhag
Original Sutra AuthorN/A
AuthorGhevarchand Banthiya
PublisherJain Parmarthik Sanstha Bikaner
Publication Year1957
Total Pages139
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari, Agam, & Canon
File Size6 MB
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