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________________ २८ इनमें से समियाँ प्राभ्यन्तर परखदा है। इससे इन्द्र महाराज सलाह पूछते हैं, विचार करते हैं। चण्डा मध्यम परखदा है, इससे इन्द्र महाराज अपना विचार कहते हैं और नक्की (तयः) करते हैं। जाया बाहर की परखदा है, इसको इन्द्र महाराज अपना विचारा हुआ काम कह कर, आज्ञा देते हैं । अाभ्यन्तर परखदा वुलाने से आती है । मध्यम परखदा. बुलाने से और बिना बुलाने से भी आती है, बाह्य परखदा विना बुलाये ही आती है। . २-अहो भगवान् ! वाणव्यन्तर देवों में कितनी परखदा है ? हे गौतम ! तीन परखदा है-इसा, तुडिया, दढरया (दृढरथा)। ३-अहो भगवान् ! ज्योतिषी देवों में कितनी परखदा है ? हे गौतम ! तीन परखदा है-तुम्बा, तुडिया और पर्वा । : : इनका ( वाणव्यन्तर और ज्योतिषी देवों की परखदाओं का) काम भवनपति और वैमानिक देवों में कहा उसी तरह जानना चाहिए । अब संख्या और स्थिति का अधिकार चलता है सो कहते हैं...चमरेन्द्रजी की आभ्यन्तर परसदा में २४०००. देव और ३५० देवियाँ, मध्यम परखदा में २८०86 देव और ३०० देवियाँ, बाह्य परखदा में ३२००० देव और २५० देवियाँ हैं। देवों .
SR No.010034
Book TitleBhagavati Sutra ke Thokdo ka Dwitiya Bhag
Original Sutra AuthorN/A
AuthorGhevarchand Banthiya
PublisherJain Parmarthik Sanstha Bikaner
Publication Year1957
Total Pages139
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari, Agam, & Canon
File Size6 MB
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