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चंद्र
( उपरुद्र ), काल, महाकाल, असिपत्र, धनुष, कुम्भ, बालू, रणी, सरस्वर, महाघोष ।
वरुण लोकपाल के आज्ञाकारी देव-देवियों के नामचरुणकायिक, वरुणदेवकायिक, नागकुमार, नागकुमारी, उदधिकुमार, उदधिकुमारी, स्तनितकुमार, स्तनितकुमारी । पुत्रवत् देवों के नाम – कर्कोटक, फर्डमक, अञ्जन, शंखपाल, पुण्ड, पलाश, मोद, जय, दधिमुख, पुल, कातरिक ।
taण लोकपाल के श्राज्ञाकारी देव देवियों के नाम--- वैश्रमण कायिक, वैभ्रमणदेवकायिक, सुवर्णकुमार सुवर्णकुमारी, द्वीपकुमार द्वीपकुमारी, दिशाकुमार, दिशाकुमारी, वाणव्यन्तर, चाणव्यन्तरी । पुत्रवत् देवों के नाम-- पूर्णमद्र, मणिभद्र, शालिभद्र, सुमनोभद्र, चक्ररच पूर्णरच सद्वान सर्वयश सर्वकाम समृद्ध श्रम संग | ग्रामदाह यावत् सन्निवेशदाह धनचय जनऩय कुलक्षय यादि काम सोम लोकपाल के जापा जानकारी ) में होते हैं। डिबादि अनेक प्रकार के युद्ध और अनेक प्रकार के रोग यम लोकपाल के जागापगणा में होते हैं। अतिवृष्टि और अनावृष्टि, सुकाल दुष्काल, भरना, तालाच, पाणी का प्रवाह श्रादि वरुण लोकपाल के जाणपणा में होते हैं। लोह की खान, सोना चांदी सीसा ताम्बा रत्नों की खान, गडा हुवा धन म लोकपाल के जाणपणा में होते हैं।
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ईशानेन्द्रजी के ४ लोकपाल है--सोम, यम, वरुण, चैत्रमग | ईशानानस विमान से उत्तर दिशा में इनके ४ विमान
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