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.............. (थोकड़ा नं०३८)... - श्री भगवतीजी सूत्र के तीसरे शतक के सातवें उद्देशे में शक्रेन्द्रजी के चार लोकपालों का तथा चौथे शतक के पाठ उद्देशों में ईशानेन्द्रजी के. ४. लोकपाल और ८ राजधानियों का थोकड़ा चलता है सो कहते हैं
१-अहो भगवान् ! शक्रेन्द्रजी के कितने लोकपाल हैं ? हे गौतम ! चार लोकपाल हैं-सोम, यम, वरुण, चैश्रमण । सौधर्मावतंसक विमान से पूर्वादि दिशाओं में असंख्याता योजन जाने पर अनुक्रम से इन चारों के विमान पाते हैं । इनका यन्त्र और कितनाक वर्णन सूर्याभ विमान के समान है । मेरु पर्वत से दक्षिण दिशा में जितना भी काम होता है वह सब इन चारों लोकपालों की जानकारी में होता है। - चारों लोकपालों के विमान, विमानों की लम्बाई चौड़ाई, परिधि तथा राजधानी का वर्णन इस प्रकार है
सोम लोकपाल के सन्ध्याप्रभ विमान और सोमा राजधानी है । यम लोकपाल के वरशिष्ट विमान और जमा राजधानी है। वरुण लोकपाल के सयंजल विमान और वरुणा राजधानी है। श्रमण लोकपाल के वल्गु विमान और वैश्रमण राजधानी है । सब लोकपालों के विमानों की लम्बाई चौड़ाई १२॥ लाख योजन है. और परिधि ३९५२८४८ योजनः झाझरी ( कुछ . ज्यादा ) है । राजधानी की लम्बाई चौड़ाई और परिधि जम्बून