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________________ १०३ बसन्त ऋतु (चैत्र, वैशाख ) में अनुक्रम से अल्पाहारी होती है यावत् ग्रीष्म ऋतु (जेठ, आषाढ़ ) में सबसे अल्पाहारी होती है। अত श्रहो भगवान् ! ग्रीष्म ऋतु में वनस्पति सबसे अल्पाहारी होती है सो बहुत सी वनस्पति में खूब पान फूल फल होते हैं सो किस तरह से ? हे गौतम । ग्रीष्म ऋतु में वनस्पति में उष्णयोनिया, जीव बहुत उत्पन्न होते हैं यावत् वृद्धि पाते हैं, इस कारण से वनस्पति में पान फूल, फल बहुत होते हैं । . अहो भगवान् ! वनस्पति का मूल, कन्द यावत् बीज किस जीव से व्याप्त है ? हे गौतम । वनस्पति का मूल, मूल के जीव से व्याप्त हैः यावत् बीज, बीज के जीव से व्याप्त है बाद ४–अहो भगवान् ! वनस्पति के जीव किस तरह आहारे लेते हैं और किस तरह परिणमाते हैं ? हे गौतम ! वनस्पति का मूल पृथ्वी से संबद्ध ( जुड़ा हुआ ) है जिससे वनस्पति आहार 'लेती है और परिणमाती है । इस तरह, बीज तक १० लावो Barfits कह देना चाहिए । इल ५- अहो भगवान् ! आलू, मूला आदि अनेक वनस्पतियाँ क्या अनन्त जीव वाली और भिन्न भिन्न जीव वाली हैं ? हाँ, गौतम ! बालू, मूला आदि अनेक वनस्पतियाँ अनन्त जीव वाली और भिन्न भिन्न जीव वाली S क * ६–अहो भगवान् ! क्या कृष्णलेशी नैरयिक अल्पकर्मी और नीललेशी नैरयिक महाकर्मी हो सकता है ? हाँ, गौतम
SR No.010034
Book TitleBhagavati Sutra ke Thokdo ka Dwitiya Bhag
Original Sutra AuthorN/A
AuthorGhevarchand Banthiya
PublisherJain Parmarthik Sanstha Bikaner
Publication Year1957
Total Pages139
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari, Agam, & Canon
File Size6 MB
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