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क्रिया लगती है या सांपरायिकी : क्रिया लगती है ? हे गौतम ! उसे ईर्यापथिकी क्रिया नहीं लगती है किन्तु सकषायी होने से उसको सांपरायिकी क्रिया लगती है। . १०-अहो भगवान ! इंगाल दोप, धूम दोष और संयोजना दोष किसको कहते हैं ! हे गौतम ! प्रासुक एपणीय आहार पानी लाकर उसमें मूछित, गृद्ध, आसक्त होकर आहार करे तो इंगाल (अंगार ) दोष लगता है । उसी आहार को क्रोध से खिन्न होकर माथा धुनता धुनता आहार करता है, ( खाता है) तो धूम दोष लगता है। प्रासुक एषणीय निर्दोष आहार पानी लाकर उसमें स्वाद उत्पन्न करने के लिये एक दूसरे के साथ संयोग मिला कर
आहार करे तो संयोजना दोष लगता है। ....... .. ११-अहो भगवान् ! खेत्ताइक्कते (क्षेत्रातिक्रान्त ), कालाइक्कंते, (कालातिक्रान्त), मग्गाइक्रते (मार्गातिक्रान्त.), पमाणाइक्कते (प्रमाणातिक्रान्त ) दोष किसे कहते हैं ? हे गौतम ! कोई साधु साध्वी. सूर्य उदय से पहले आहार पानी लाकर सूर्य उदय से पीछे भोगता है तो उसे खेत्ताइक्कते दोप लगता है। प्रथम पहर में लाये हुए आहार पानी को अन्तिम पहर में भोगता है तो कालाइक्कते दोष लगता है। दो . कोष ( गाऊ) उपरान्त ले जाकर आहार पानी भोगता है तो मग्गाइक्कते दोप लगता है। प्रमाण से अधिक आहार करता है तो पमाणाइक्कते दोष लगता है।
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