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द्विवेदीजी का सम्पूर्ण साहित्य [ ६९
४. शिक्षा : प्रसिद्ध अँगरेज तत्त्ववेत्ता हर्बर्ट स्पेंसर की ख्यात 'एडुकेशन' नामक पुस्तक के अनुवाद-स्वरूप प्रस्तुत कृति का प्रकाशन हुआ है । इण्डियन प्रेस (इलाहाबाद) द्वारा सन् १९०६ ई० में प्रकाशित इस पुस्तक में ३५८ पृष्ठ हैं तथा इसका आकार २४ सें० है ।
५. जलचिकित्सा : जर्मन - लेखक लुई कोने की मूल जर्मन- पुस्तक के अँगरेजी - अनुवाद का हिन्दी अनुवाद द्विवेदीजी ने इस पुस्तक में प्रस्तुत किया है । इण्डियन प्रेस (इलाहाबाद) द्वारा प्रकाशित इम पुस्तक का प्रकाशन वर्ष सन् १९०७ ई० है |
६. स्वाधीनता : जॉन स्टुअर्ट मिल की मूल पुस्तक 'जॉन लिबर्टी' के अनुवाद - स्वरूप इस पुस्तक का प्रकाशन हिन्दी -ग्रन्थरत्नाकर (बम्बई) द्वारा सन् १९०७ ई० में किया गया है। इस पुस्तक की भूमिका सन् १९०५ ई० में ही लिखी गई थी । भूमिका में मूल लेखक की जीवनी भी सम्मिलित है । २२ पुस्तक का आकार १८ सें० है ।
पृष्ठों के इस अनुवाद -
७. महाभारत मूल आख्यान : डॉ० उदयभानु सिंह' ने अपनी सूची में इस पुस्तक को 'हिन्दी -महाभारत' की संज्ञा दी है । यह श्रीसुरेन्द्रनाथ ठाकुर की बॅगला - 'पुस्तक 'महाभारत' से स्वच्छन्दतापूर्वक किया हुआ अनुवाद है । इसकी भूमिका सन् १९०८ ई० में ही लिखी गई थी। डॉ० उदयभानु सिंह ने भी इसका प्रकाशनवर्ष सन् १९०८ ई० ही लिखा है । परन्तु, इण्डियन प्रेस ( इलाहाबाद ) द्वारा २४ से० आकार में छपी ५०२ पृष्ठों की इस पुस्तक का प्रकाशन सन् १९१० ई० में हुआ था ।
८. रघुवंश: महाकवि कालिदास के इस संस्कृत - महाकाव्य का गद्यात्मक अनुवाद द्विवेदीजी ने किया था । इस भावार्थबोधक अनुवाद का प्रकाशन इण्डियन प्रेस ( इलाहाबाद) ने सन् १९१३ ई० में किया था । १६० पृष्ठों की इस पुस्तक का आकार २१ सें ० है ।
९. वेणीसंहार : नारायणभट्ट - रचित संस्कृत नाटक 'वेणीसंहार' का एक आख्यायिका के रूप में किया हुआ प्रस्तुत भावार्थबोधक अनुवाद जूही (कानपुर) के कमर्शियल प्रेस द्वारा सन् १९१२ ई० में प्रकाशित किया गया था ।
१०. कुमारसम्भव : महाकवि कालिदास के संस्कृत महाकाव्य 'कुमारसम्भव' का गद्यात्मक अनुवाद इस पुस्तक के रूप इण्डियन प्रेस ( इलाहाबाद ) द्वारा सन् १९१७ ई० में प्रकाशित किया गया है। इस पुस्तक की भूमिका सन् १९१५ ई० में लिखी गई थी, इस आधार पर डॉ० उदयभानु सिंह 3 इसका प्रकाशन वर्ष १. डॉ० उदयभानु सिंह : 'महावीरप्रसाद द्विवेदी और उनका युग', पृ० ८० । २. उपरिवत् । ३. उपरिक्त् ।