________________
६८ ] आचार्य महावीरप्रसाद द्विवेदी : व्यक्तित्व एवं कर्तृत्व
नही है । परन्तु, उल्लिखित ४१ रचनाओं के अतिरिक्त कतिपय अन्य पुस्तकों को उन्होने अपनी सूची में स्थान दिया है, यथा :
१. हिन्दी - शिक्षावली, तृतीय भाग की समालोचना (सन् १८९९ ई० )
२. हिन्दी की पहली किताब (सन् १९११ ई०) ३. शेअर प्राइमरी रीडर (सन् १९११ ई०) ४. अपर प्राइमरी रीडर (सन् १९११ ई०) ५. शिक्षा-सरोज (सन् १९११ ई०)
६. बालबोध या वर्णबोध (सन् १९११ ई० ) ७. जिला कानपुर का भूगोल (सन् १९११ ई०) ८. अवध के किसानों की बरबादी (सन् १९११ ई०) ६. लेखांजलि (सन् १९२८ ई०)
१०. आत्मनिवेदन (सन् १९३३ ई० में काशी - नागरी प्रचारिणी सभा में दिया
गया भाषण
११. भाषण (प्रयाग में, सन् १९३३ ई० में आयोजित द्विवेदी - मेले में दिया. गया भाषण ) १
इन ग्यारह रचनाओं में अधिकांश केवल बालोपयोगी पुस्तकें, रीडरें और भाषण हैं। 'लेखांजलि', 'सरस्वती' में प्रकाशित द्विवेदीजी के निबन्धों का एक संकलन है । इसके प्रकाशक आदि का पता नहीं चलता है । इस प्रकार, आचार्य महावीरप्रसाद द्विवेदी की मौलिक गद्यकृतियों की सूची मे ४१ प्रारिम्भक कृतियों के साथ-साथ इन ११ पुस्तकों को भी परिगणित किया जा सकता है ।
आचार्य द्विवेदीजी का अनूदित गद्य-पुस्तकें :
१. भामिनी - विलास : संस्कृत कवि पण्डितराज जगन्नाथ की पुस्तक 'भामिनीविलास' का समूल अनुवाद द्विवेदीजी ने इस पुस्तक के रूप में प्रस्तुत किया है । खेमराज कृष्णदास (बम्बई) द्वारा प्रकाशित ५० पृष्ठों की इस पुस्तक का आकार ६७ सें० है । इसका प्रकाशन सन् १८९६ ई० में हुआ था ।
२. अमृतलहरी : यह पुस्तक पण्डितराज जगन्नाथ - रचित 'यमुनास्तोत्र' का समूल भावानुवाद है । इसका प्रकाशन सन् १८९६ ई० में हुआ था। 'अमृतलहरी' में द्विवेदीजी की प्रारम्भिक भाषा का स्पष्ट रूप दृष्टिगत होता है ।
३. बेकन - विचार - रत्नावली : खेमराज कृष्णदास (बम्बई) द्वारा सन् १९०१ ई० में प्रकाशित प्रस्तुत पुस्तक में अँगरेजी के ख्यात निबन्धकार फ्रांसिस बेकन के ३६ निबन्धों का अनुवाद-संग्रह किया गया है। बेकन के निबन्धों के साथ संस्कृत के सुभाषित श्लोकों की एकवाक्यता दिखाने के लिए प्रत्येक निबन्ध के शीर्ष पर एक या दो श्लोक भी उद्धृत कर दिये गये हैं । ६६८ पृष्ठों की इस पुस्तक का आकार २० सें ० है ।
१. डॉ० उदयभानु सिंह : 'महावीरप्रसाद द्विवेदी और उनका युग', पृ० ८३-८५