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________________ ११७ इतनी तीनों महापुरुषों को नायक बनाकर लिये गए काव्यों की परंपरा प्राकृत से ही चली जा रही है। जिन पर अन्यत्र प्रकाश डाला गया है। पत्र में भी थोड़े बहुत परिवर्तन के साथ वे स्वीकार कर ली गई है। पुरानी हिन्दी में आकर इनका अनुशीलन करने पर ऐसा प्रतीत होता है कि इन कृतियों की कुछ परंपरा (eyetes ) बन गई है, जिनपर वे रचनाएं आधारित है और वन की इन विविधताओं ने इस कथा परंपरा क्रम को कहीं भी विधि नहीं होने दिया है। इन उक्त तीन नायकों को लक्ष्य कर जैन कवियों ने श्रृंगार, करण और निर्वेद प्रधान अनेक रास का प्रबन्ध चरित आदि अनेक काव्य रचे हैं। इस कथन का तात्पर्य यह नहीं है कि इनसे इतर विषयों पर जैन कवियों ने उस समय कुछ लिखा ही नहीं और क्या परंपराएं (eyels ) बनी ही नहीं। ऐसे अनेक जैन काव्य मिल जाते हैं जिनके चरितनायक विभिन्न है जैसे प्रद्युम्न गरिव, वाल्मिवराय, जिनदत्त बज्थइ, परतैश्वर बाहुबली रास, पंक पान्डव चरित राख, विड्या विलास पवाड़ी जादि । परन्तु बौसतन नेमिनाथ, जंबू स्वामी और स्थूलिप पर लिखी रचनाएं असंख्य है। नेमिनाथ जंबूस्वामी तथा स्थमिह तीनों का जीवन प्रारम्भ में श्रृंगार का साथी रहा है। गाः इन पर लिये काव्यों की परंपरा नही दीवानी है। घटना प्रधान रंजनाओं में अन्य कई रमाएं बाती है। जिनमें र होता तो है पर जिनके वस्तु संयोजन में घटनाओं का विशेष वमत्कार होता है। farera wee, प्रसन्न परित, सत्यपुजी, चैनवाला राम, सुभद्रासी, बटर, गाय जादि अनेक ऐसे काम है।इन रक्तावों में क्या की परंपरा (eyeles } क्रम संमभग वही है परन्तु फिर भी कवि ने कि विषय परिवर्तन करके इनमें मोड़ा का वर प्रस्तुत कर दिया है। अतः सारी रचना के पारंपरिक व जय (eyeles मैं भी थोड़ा अन्तर वा गया है। इस कावायक है परन्तु इसे सरलता से बना जा सकता है। कृतिय स्थान ही वर्णन वा विविध उपदेश और धार्मिकता " " या विषयों पर भी रखी गई है कई आध्यात्मिक काव्य भी है कई
SR No.010028
Book TitleAadikal ka Hindi Jain Sahitya
Original Sutra AuthorN/A
AuthorHarishankar Sharma
PublisherHarishankar Sharma
Publication Year
Total Pages1076
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari & Literature
File Size84 MB
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