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वातावरण और जनसमाज भी कथा परंपरा क्रम में सहायक होता है। कभी कभी एक ही व्यक्ति पर बनी कथा परंपरायें अनुन तिबद्धता के कारण अपना रूप बदलती रहती है तथा जितनी उस पर नवीन रचनाएं लिखी जाती है उनमें
कि अन्तर के साथ मूल कथा अवश्य उसी प्राचीन परंपराओं (cycles > पर आधारित होती है। कई बार ये कथायें और परंपरा में विभिन्न प्रक्षेपों arr विभिन्न यों में परिवर्तित हुई मिलती है। यद्यपि इन परंपराओं में यह परिवर्तन समसामयिक होता था और मूल कथा उन्हीं कथा सूत्रों पर आधारित होती थी ।
जो भी हो, इन कथा परंपराओं (cycles ) में निर्माण किस तरह होता रहता है, इनमें परिवर्तन कैसे होते हैं, क्याक्रम किन घटनाओं एवं सूत्रों में उलझा रहता है तथा विभिन्न काल में नवीन नवीन रूपों में वे कथाएं किस प्रकार भाती रहती है, आदि सभी बातों के सम्बन्ध में बहुत निश्चय पूर्वक कुछ नहीं कहा जा सकता। ही संभाब्य स्थिति पर विचार करने के लिए ही क्या परंपराओं (cyels ) के सम्बन्ध में होने वाले संबंधों को स्पष्ट करने के लिए उक्त कारणों पर प्रकाश डाला गया है।
उपलध प्रमुख कथाएं और घटनाएं:
काल के इस ग्राहित्य में अयावधि उपलबुध जितने काव्य है अथवा
क्या कृतियां है वे दो प्रकार की है उनकी
१- वरि प्रधान, और
- पटना प्रधान में बाट सक 1
eft प्रधान दिल्ली रमाएं हैं उनमें सबसे अधिक रचनाएं जिन महा
पर किसी गई है उनमें से प्रधान तथा प्रमुददीन है:
१- नेमिनाथ
स्वामी
१ किम