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प्रतिष्ठा मिट्टी में मिला दी। मेवाड़ के दोनों दाजुओं पर मालवा और गुजरात में तब दो भारतीय पुस्लिम राज्यों की स्थापना हुई। मालवा के पठान थे और गुजरात के थानेश्वर के पास रहने वाले टाक (तक त्रिग) जो फिरोज तुगलक के सम., में बलमान बने थे तथा दिल्ली सल्तनत के प्रान्तीय शासक थे, अब स्वतंत्र हो गए। पश्चिमी राजस्थान में सिरोही जालौर तथा नाौर पर गुजरातियों का अधिकार था।दक्षिणी पश्चिमी राजस्थान में भाटियों ने जैसलमेर राज्य को पुनः संगठित क्यिामध्य मारवाड़ में डोवर का प्रतिहार वंश था जिनका नागौर के तुर्क पुस्लिम धाने के बराबर संघर्ष चलना था। राजस्थान में गुजरात के सोलंकी, परमार राम्बट आदि स्वरा जीवन बिताते थे इनमें एकता नहीं थी।इस तरह वीं वीं शताब्दी तक यह संघर्ष होता रहा।
5. मोदी व माना। महाराणा कुम्भा की सत्ता माननी पड़ी तथा उन्होंने महाराणा को हिन्दुस्तान का 'विन्द्र (मन्
प्रदान किया। गुजराब और मालवा को तो पहले ही हरा दिया था मा बन्ने १५.. बाइयों पर सफलता न मिली। मारवाड़
राीर रवाल जोधा को महारामा ने शराब के क्लिा नागौर जालौर माविका ( 1) बान्त का किया था। नागौर का पुस्लिम केन्द्र परिवमी रास्थान राति पुरानों का महा मारामामा ( ४५-५८ on) उस पर बीम मान लिए और न ४५८ में गुजरात के सुल्तान शादीन की बिना पर राणस्थान में कों (इस्लिमों को महास को , मह हा, ईको पाट और बड़ी मस्जिद मेर पारे नागोर राय को कार का गोरा पिपरिवर्तित कर जाग देशमा मन्द हो जाने पर उसकी रमात त्तवावाला माना