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अवाज दरगामी की इस वीडवा। इन कथानों में न माषा काव्य की सरसबा सर्व विद्यमान हैविविध विषयों पर लिसी बत्कालीन अनेक प्रकीक क्याएं स बात का प्रमाण है।
एक इढ़िया पर लिखी क बत्कालीन प्रकीर्णक क्या का एक उदाहरण देखिएः ए प्राषि एकिति बरिखवाकरी इक्सिन होकरि एक ईवी। सन इसह नाभि का वीकिरा पाए वापिविका कारपि ग्राम होक या मा चारला अनेक दिनि संध्याममइयान वन इतर बाछले पावर एस पुधि इसिर, पूछी प्रावी विद्या ईजि महाविक वेग समहु ईल देर बालि। जिम का विधि या विष बाई मही पीठि पति।
स्मा ग्यरष में बोकार दीकित बाल बादि पद हेड राजस्थानी को भाव भी बोले बाते है।
उपदेश प्रधान धार्मिक क्याओं में अनेक भी बिमूलक क्या मिली है जिसकी मुख्य संवेदना कैवल ज्ञान या नश्वर संसार से विरक्ति ग्रहण करना ही है समावती क्या- का एक उदाहरण गद्य की प्रजिलवा को पूर्वमी पूर्णतया स्पष्ट करता है:
धारा दूकडमो साथ जाबो दी चंदन बालानु हाथ पर कीया। नंदनवाला नामी
का मा लादि। माटीई कहिल-मार
बार पीनवाला बन देखा। मानवीई कति किस देश का मामला बीबई काल
इसी प्रकार मान्य परिवारा मुनि ओक बार केन न पर प्रकाश डाली है। क्या मालकीचा गुस्स पावर बर बर्मन है। सर
मालीश बाप पिया महादिक नर बंश कहीदानशील
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-पान आम गुजराती गव संदर्भ
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- वडी० ५८-५९ -