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शास्त्र पठति () चेन्नई कारपि रिया कती का , बनइ बहराई दान दीड
कोप कीया विडा सम्प्रदानि चतुर्थी विवेकिक मोक्षनई कारपि पर। सपइ इसी निया इत्यादि।-- धम्म सुनाई कारणि हुश। दिया । कस्ता पूर्ववत् । किसानई कारणि शर्मा , मुखमई। विहा चतुर्थी।--
साधु पोछनई कारणि बघु करा। (7 विही देशि कालि जेहना विवादः इत्यादि कारमइ बोलिवावे
कस्ताना अथवा सम्पनर आधा हुइ वे अधिकाप विहां सप्तमी। व प्राभिवादानिया की पूर्ववता किली वनड, मामि।विता पारि सप्तमी।
हिमानों का विश्लेषण भी दिर है. (७ मेधि बरिसवा मोर नाचई। मावई इसी निया काम माय मोराले
नाचई के बल्ती विहा प्रथम किस ईतइ नारई मेपि रिहा भाव समि सम्वमि। कारकों का विवेचन भी मुम्क है।
करक, मान सम्बन्ध, कल्ली, कम्य करण, सम्प्रदान, अपाबान, अधिक.
सका । कीवीवीपी या कीया कर। या देवानी बाल के महापरी गई कार सम्प्रदान ब हानापाव विकार, मेडक मब हड, के बादल
प्रकार सामान कहा , ह माकि वह पाचला , मेहमी, ह व सी इत्या सम्बन्। माग,
बलि, कि पाकिवारि इत्या अधिकरए।
प्राय It weet इलिलिबिस्य । स्थानी मझा का विकास: डा. शिवस्वरूप भी पू. ५८६४प्रकाशित शोध
राजस्थान विश्वविद्यालय