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________________ से स्पष्ट है कि इसमें बोल चाल की भाका का साधारण स्वरूप है। पहले ही लेखक ने जिन उब्दों का प्रयोग किया है उनका विभिन्न विभिन्न कालों का स्वरूप देखा जा सकता है:वर्तमान - दिवइ, करह, दीजड, कीजह, लीजइ आदि विधिडिंग - करिरी देने, ले।। लोट - करि लइ, बइ, झीज, आदि पूतकाल . कीघर लीधर भविष्यकाल - करिसि, देसि, करिसिह, देसिइ, नीजिसिइ विजिसिइ आवि कृदन्त माधारण-करिका, देव ज्य च वर्तमान - करकर, देता, की , दीजकल, पूर्व वन्त - दीपा की, पकिय कुन्त - बारनाइस अनेक शब्दों तश क्रिया मों का अध्ययन इन उदाहरणों से कियाजा सकता है:- कीही जीडा तीही (कहा जहा, तहीशिवड़ा (हमपी) सहि गमा (सब घरक) सीमाइ (मोशियालो) घाट (घटोपलो (पिल्ला) बाप (पिता) टस बर) महकम) बलवती (बाचाल)। इसी प्रकार किसानों के कार बहला अनेक उदाहरण विप मा सक्ने मा- विs, ड, प्राणा, वापरा, पीड, बापा, भाषा, सोपडा, निरसह, मनाना, पेला, मास, मका, पास भर, का, विवा, धारा, पाइमोलमा, लोहा नायड, टा, बाल हाय, बाबा, मलाह, सह भाकि इस प्रकार वर्तमान हिन्दी शब्दों कत्वमा प्रयोग इस नाम सिाईमा सम्वों सट है कि अपांव की विशिष्ट कापियामा इनमें मिल परिकषित नहीं होता। बालीमापाभ्यालय लियी छ बहुत ही महत्वपूर्ण कृतियां माय mem | जिनमें प्रमुख हैसामोर क्लिक कुलमंडनकृत - ०१४५. श्री सोमप्रभसूरि ..
SR No.010028
Book TitleAadikal ka Hindi Jain Sahitya
Original Sutra AuthorN/A
AuthorHarishankar Sharma
PublisherHarishankar Sharma
Publication Year
Total Pages1076
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari & Literature
File Size84 MB
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