________________
८१७
कारक प्रक्रममा।
अथ प्रत्येक विपकिन प्राप्ति महा-काई, लिया, दियई, इत्यादी वर्वमानाकीगई, दीनई- कीमई इत्यादी कोक्लो कर्म गि वर्तमानाया भात्यनेपथनाकरिख, ले, देवे, इत्यादी एकारात बचने मम्मी
कीजा दीका लीबउ, इत्यादी कर्मयात्मनेपदं ।
म की, मलीनदी इत्यादी कर्ममि मा शब्दयोमे कई करत, जई लेत, नई देश, इत्यादी क्रिया तिपतिः
करि सिई, लेस (सि) ई०, देसिई इत्यादी नहीं करई नही लियाई नही दियई इत्यादी भविष्यान्ति
मधतात्यय प्राप्ति माह+ करता, लेखन, दे, इत्यादी रिमाने महानो। कीजवळ, लोमन, बीवन, इत्यादी कामक।
करीउ, यावी बना। मी बाई की मा करिका, लेबर का इस्मादी कवि सम्मानीयौ
प्रिया प्राधिकार) रा, बालि कादिद, रावळ, करावी,करा दिया मलावी. संवा प्रावमाथि ! )।
समाशसस्थानी शड्दों के माध्यम से वार्षिक ब्यापारकली पक्ट होती है वस्तुतः बाल विा का महत्व व्याकरण अन्धों पर तो सर्व प्रथम कृति होने के कारण और भी बढ़ जाती है।इस रसा