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________________ परन्तु वर्णैर्य विषय अत्यन्त अधिक कठिन होने पर भी लेखक ने बोलवाल की भाषा मैं उसे समझाकर जन साधारण के लिए सुलभ बनाया है। भाषा: ar तक तत्व विचार की माया निर्णय का प्रश्न है यह बहुत ही सरलता से कहा जा सकता है कि वह सरल गय है। उपलब्ध गद्य रचनाओं में एक क्रमिक विकास इन कृतियों से स्पष्ट कियाजाता है और यदि आराधना से निवार प्रकरण की भाषा का तुलनात्मक दृष्टि से अध्ययन प्रस्तुत किया जाय तो उसमें नही रुकता था इसमें सरलता की ओर आने का प्रयास परिचित होगा। इस रचना के पाठ को थोड़े से प्रयास के बाद हिन्दी के सरल गद्य की भांति पढ़ा जा सकता है। दों में समान संतुलन, दयुमों का सुन्दर निर्वाचन भाषा में प्राचीन मों और क्रियाओं के साथ नई उत्क्रांति, समय बूदों के साथ प्राचीन राजस्थानी या गुजराती शब्दों का बाहुल्य व प्रभाव आदि सभी गुण इस रचना में है। उक्त उद्धरणों में इन बातों सरलता से देखा जा सकता है। (ब) साहित्य मदय धनपाठ क्या' (११:९चणी द serers agम की परम्परा को पुष्ट करने वाली कृतियों में बीकानेर के पठार से उपयूष हुई एक छोटी सी कृति वनपाल क्यापि वैस्कृत प्राकृत तथा दोनों के अधिकारी विमान थे। इनके के मौलिक ग्रन्थ या टीकार्य प्रकाशित हो चुकी है। प्रस्तुत कृति को प्रकाश में जाने का देश की वरद नाष्टा को है लास्टा जी ने इसे राजस्थान भारती में प्रकाश किया। रचना की का क्यू अत्यन्त सरस और मौलिक है। इस कथा में वर्णि छोटी ही बनाने महाकवि धनपाल के जीवन में बसाधारण परिवर्तन उपस्थित दिया कि प्रकार उनकी तिलकमंजरी कथा को अदन की गेंद बढ़ा दिया धनपाल के स्वाभिमानी व्यक्तित्व पर राजा की असामयिक अप्रसन्नता ने
SR No.010028
Book TitleAadikal ka Hindi Jain Sahitya
Original Sutra AuthorN/A
AuthorHarishankar Sharma
PublisherHarishankar Sharma
Publication Year
Total Pages1076
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari & Literature
File Size84 MB
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